बिना ढंग के बाल कटाये, करिया चश्मा मारे हे
पढ़े लिखे मा भारी गदहा, बड़खा बात बघारे हे ।।1 ।।
बड़े बिहनिया घर ले निकरे, जोर कुदावत हे गाड़ी
अस लागत हे गिरे परे मा, टूट जही दूनो माड़ी ।।2 ।।
गुटखा खाये आनी बानी, गिरधारी के ठेला मा
टोरा फोरा मार पीट के, टूरा परे झमेला मा ।।3 ।।
बड़खा दादा बने गाँव के, बात करे आनी बानी
फोकट खाना ठग के खाये, पीयत हे मउँहा पानी ।।4 ।।
काम धाम ले दुरिहा भागे, पढ़ना लिखना छोड़े हे
कतको झन ले झगरा करके, रिश्ता नाता टोरे हे ।।5 ।।
घर मा रोज तकादा करथें, टूरा लदे उधारी मा
दसो जघा मा हावै लागा, गिनती करें भिखारी मा ।।6 ।।
गाँव गली मा नाक कटाये, नइ भावै महतारी ला
गहना धरके लागा लेथे, घर के लोटा थारी ला ।।7 ।।
सट्टा के लत लागे ठौका, बइठे जोड़ घटाना मा
घर के धन ला नाश करत हे, बेचे धान किराना मा ।।8 ।।
बारा बजिहा रात होय मा, छुछवारत घर ला आथे
चोर बरोबर धीरे धीरे, कथरी ओढ़े सो जाथे ।।9 ।।
बाप कमाये बेटा खाये, आये गजब जमाना हे
सुख दुख ले का लेना देना, बस अटिया के खाना हे ।।10 ।।
जाँगर चोट्टा काम करे बर, अब झन कर आना कानी
बने हकन के रोज कमा तँय, जस मिलही आनी बानी ।।11 ।।
रचनाकार
पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम -भेलवाँटिकरा
पोस्ट - उरदना
जिला - रायगढ
छत्तीसगढ
पढ़े लिखे मा भारी गदहा, बड़खा बात बघारे हे ।।1 ।।
बड़े बिहनिया घर ले निकरे, जोर कुदावत हे गाड़ी
अस लागत हे गिरे परे मा, टूट जही दूनो माड़ी ।।2 ।।
गुटखा खाये आनी बानी, गिरधारी के ठेला मा
टोरा फोरा मार पीट के, टूरा परे झमेला मा ।।3 ।।
बड़खा दादा बने गाँव के, बात करे आनी बानी
फोकट खाना ठग के खाये, पीयत हे मउँहा पानी ।।4 ।।
काम धाम ले दुरिहा भागे, पढ़ना लिखना छोड़े हे
कतको झन ले झगरा करके, रिश्ता नाता टोरे हे ।।5 ।।
घर मा रोज तकादा करथें, टूरा लदे उधारी मा
दसो जघा मा हावै लागा, गिनती करें भिखारी मा ।।6 ।।
गाँव गली मा नाक कटाये, नइ भावै महतारी ला
गहना धरके लागा लेथे, घर के लोटा थारी ला ।।7 ।।
सट्टा के लत लागे ठौका, बइठे जोड़ घटाना मा
घर के धन ला नाश करत हे, बेचे धान किराना मा ।।8 ।।
बारा बजिहा रात होय मा, छुछवारत घर ला आथे
चोर बरोबर धीरे धीरे, कथरी ओढ़े सो जाथे ।।9 ।।
बाप कमाये बेटा खाये, आये गजब जमाना हे
सुख दुख ले का लेना देना, बस अटिया के खाना हे ।।10 ।।
जाँगर चोट्टा काम करे बर, अब झन कर आना कानी
बने हकन के रोज कमा तँय, जस मिलही आनी बानी ।।11 ।।
रचनाकार
पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम -भेलवाँटिकरा
पोस्ट - उरदना
जिला - रायगढ
छत्तीसगढ
बढ़िया ठेठवार सर जी
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
Deleteबहुत शानदार रचना सर
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना सर
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
Deleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई
ReplyDeleteआभार दीदी जी
Deleteबहुत बढ़िया रचना बधाई हो ठेठवार जी
ReplyDeleteधन्यवाद माटी सर जी
Deleteवाहहह ठेठवार जी.. सिरतोन गोठ ला बेधड़क लिखे हव..।
ReplyDeleteबहुतेच धन्यवाद सर जी
Deleteबहुत बढ़िया ताटंक बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteसच्चाई के आइना देखावत सुघ्घर ताटंक छन्द ठेठवार भइया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद बहन जी
Deleteसादर धन्यवाद बहन जी
Deleteबनेच सुग्घर रचना आ0 ठेठवार जी
ReplyDeleteधन्यवाद नेक जी
Deleteबहुत सुघ्घर भैया जी
ReplyDeleteबहुतेच धन्यवाद भाई आप ल
Deleteअद्वितीय रचना है सर , आज के नालायक युवकों का यथार्थ चित्रण किया है आपने । जो बच्चे कर्तव्यहीन है , उस पर करारा व्यंग है । तत्कालीन समाज में जिसके ऐसे बच्चे हैं , उनके पिता का दुःख भी गौण रूप में सामने आया है । बहुत सुंदर.....आगे भी आप रचना करते रहें , इस रचना के लिए साधुवाद । ,🤡
ReplyDeleteआपको अंतर मन से धन्यवाद मेडम जी
Deleteआप हमारे मातृभाषा छत्तीसगढ़ी को समझ कर मेरे जैसा अदना सा कलमकार का बड़ाई किये है आपको बारंबार धन्यवाद
Deleteकलजुग के लइका एँ भाई, गुलछर्रा उड़वावत हें।
ReplyDeleteअपन कमाई के बेरा मा, ददा दाइ ल तिरियावत हे।।
बहुत बढ़िया चित्रण करिन भाई हर ...बधाई भाई
आप ल मोर सादर प्रणाम अउ धन्यवाद आदरणीय जी
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