1--हे गणराज करौं बिनती ,सुन कष्ट हरो प्रभु दीनन के ।
रोग कलेश घिरे जग में,भय दूर करो सबके मन के ।
हाँथ पसारय द्वार खड़े भरदे घर ला प्रभु निर्धन के ।
तोर मिले बरदान तहाँ दुखिया चलथे सुखिया बनके।
2--राम रहीम धरे मुड़ रोवत नाम इँहा बदनाम करे ।
उज्जर उज्जर गोठ करे अउ काजर के कस काम करे ।
रावण के करनी करके मुख मा कपटी जय राम करे ।
त्याग दया तप नीति बतावय भोग उही दिन शाम करे ।
3--काम करो अइसे जग मा सब निर्मल देश समाज रहे।
मानय नीति निवाव सबो झन सुघ्घर गाँव सुराज रहे ।
दीन दुखीकउनो झन राहय हाँथ सबो श्रम काज रहे ।
हाँसत खेलत बीतय गा सबके जिनगी सुर साज रहे।
4--सूरज चाँद उवे जग में गुरु के बिन ये अँधियार हवे ।
जे जिनगी उजियार करे गुरु हे जगतारन हार हवे ।
वेद पुराण मिले जग ला सब ये गुरु के उपकार हवे ।
अंतस जोत जलावत हे महिमा गुरु ज्ञान अपार हवे ।
5--मान मरे पुरखा मन के अउ जीयत बाप इँहा तरसे ।
रीत कहाँ अब कोन बतावय नीर बिना मछरी हरसे ।
देखत हे जग के करनी सब रोवत बादर हा बरसे ।
फोकट के मनखे अभिमान दिनों दिन पेड़ सही सरसे ।
रचनाकार - आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़
रोग कलेश घिरे जग में,भय दूर करो सबके मन के ।
हाँथ पसारय द्वार खड़े भरदे घर ला प्रभु निर्धन के ।
तोर मिले बरदान तहाँ दुखिया चलथे सुखिया बनके।
2--राम रहीम धरे मुड़ रोवत नाम इँहा बदनाम करे ।
उज्जर उज्जर गोठ करे अउ काजर के कस काम करे ।
रावण के करनी करके मुख मा कपटी जय राम करे ।
त्याग दया तप नीति बतावय भोग उही दिन शाम करे ।
3--काम करो अइसे जग मा सब निर्मल देश समाज रहे।
मानय नीति निवाव सबो झन सुघ्घर गाँव सुराज रहे ।
दीन दुखीकउनो झन राहय हाँथ सबो श्रम काज रहे ।
हाँसत खेलत बीतय गा सबके जिनगी सुर साज रहे।
4--सूरज चाँद उवे जग में गुरु के बिन ये अँधियार हवे ।
जे जिनगी उजियार करे गुरु हे जगतारन हार हवे ।
वेद पुराण मिले जग ला सब ये गुरु के उपकार हवे ।
अंतस जोत जलावत हे महिमा गुरु ज्ञान अपार हवे ।
5--मान मरे पुरखा मन के अउ जीयत बाप इँहा तरसे ।
रीत कहाँ अब कोन बतावय नीर बिना मछरी हरसे ।
देखत हे जग के करनी सब रोवत बादर हा बरसे ।
फोकट के मनखे अभिमान दिनों दिन पेड़ सही सरसे ।
रचनाकार - आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़
सादर आभार गुरुदेव
ReplyDeleteआपमन के कृपा से अभिभूत हँव।
कोटिशः नमन गुरुवर।
बधाई हो दीदी जी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteआप मन के रचना हमर बर प्रेरणा आय दीदी
ReplyDeleteसादर आभार बहना
ReplyDeleteवाहह्ह् बड़ सुघ्घर सवैया दीदी
ReplyDeleteवाहह्ह् बड़ सुघ्घर सवैया दीदी
ReplyDeleteसादर आभार भाई
ReplyDeleteबधाई हो दीदी सुग्घर सवैया छंद👌💐
ReplyDeleteवाहहह वाहहह अनुपम सृजन।
ReplyDeleteवाहह वाहहह अनुपम सृजन दीदी।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर मदिरा सवैया के सिरजन करे हव दीदी
ReplyDeleteवाहहहहह
वाहहह गज्जब के सिरजाय हव दीदी।बधाई।
ReplyDeleteआशा ! कुछ शब्द मन गलत हें, हम छंद विन्यास बर शब्द के मात्रा संग छेड़ - छाड़ नहीं कर सकन -
ReplyDeleteमुड़ नहीं मूड़
निवाव नहीं नियाव
राहय नहीं रहय।
हमर छत्तीसगढ़ी महतारी हर विश्व भ्रमण करे जावत हे, हमला वोकर प्रतिष्ठा के ध्यान रखना हे।
हाँ दीदी
Deleteआपके बात सोलह आना सच है।
येला सुधार करहुँ।
सादर आभार दीदी
सुघ्घर वन्दना दीदी जी
ReplyDeleteबहुते सुग्घर सवैया मा शानदार बरनन करे हव दीदी बधाई हो
ReplyDeleteअनुपम कृति दीदी
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