मनखे मनखे बने जोड़।
भेद भाव ला अपन छोड़।
आथे कतको राह मोड़।
झन तैं सबले नता तोड़।
सबला संगी अपन जान।
झन कोनो मा भेद मान।
दू दिन के सब सगा तान।
एक सबो के हवय जान।
माटी के तन हवय तोर।
सुनले संगी गोठ मोर।
रखले गठरी बाँध जोर।
छूट जही कब प्राण तोर।
भरम भेद के अपन खोल।
बात मान ले झने डोल।
जिनगी के तैं समझ मोल।
मोह मया मा झने तोल।
रचनाकार- श्री राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद, छत्तीसगढ़
भेद भाव ला अपन छोड़।
आथे कतको राह मोड़।
झन तैं सबले नता तोड़।
सबला संगी अपन जान।
झन कोनो मा भेद मान।
दू दिन के सब सगा तान।
एक सबो के हवय जान।
माटी के तन हवय तोर।
सुनले संगी गोठ मोर।
रखले गठरी बाँध जोर।
छूट जही कब प्राण तोर।
भरम भेद के अपन खोल।
बात मान ले झने डोल।
जिनगी के तैं समझ मोल।
मोह मया मा झने तोल।
रचनाकार- श्री राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद, छत्तीसगढ़
बड़ सुघ्घर कज्जल छंद बधाई हो राजेश भाई💐💐
ReplyDeleteराजेश भाई बधाई, बढ़िया कज्जल
ReplyDeleteसुग्घर कज्जल छंद राजेश भाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर कज्जल छंद राजेश भाई गंजअकन बधाई...🌼🌻🌸🙏
ReplyDeleteसुग्घर छंद रचना भइया
ReplyDeleteबहुत सुंदर कज्जल छंद राजेश भाई गंजअकन बधाई...🌼🌻🌸🙏
ReplyDeleteसुग्घर कज्जल छंद राजेश भाई
ReplyDeleteसुघ्घर रचना भइया जी
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर कज्जल छंद भइया बधाई हो
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना भाईजी
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना भाईजी
ReplyDeleteसुग्घर कज्जल छन्द।
ReplyDeleteबढ़िया रचना हे राजेश भाई.. बधाई हो.।।
ReplyDeleteवाहह्ह्ह गजब
ReplyDeleteवाहह्ह्ह गजब
ReplyDeleteबहुत ही सुग्घर रचना हे मितान गागाड़ा गाड़ा बधाई. ...
ReplyDeleteका मिल जाही नता तोड़।
ReplyDeleteहिरदे सँग हिरदे ल जोड़।।
मानन हम सब गुरू गोठ।
तौ ज्ञान हर होही पोठ।।
हवय बढ़िया कज्जल छंद।
पढ़त आत हवै आनंद।।
अब्बड़ बधाई ....राजेश भाई..
जीवन दर्शन हे आपके कज्जल छंद मा।बहुत बढ़िया
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