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Thursday, July 5, 2018

कज्जल छंद- श्री राजेश कुमार निषाद

मनखे मनखे बने जोड़।
भेद भाव ला अपन छोड़।
आथे कतको राह मोड़।
झन तैं सबले नता तोड़।

सबला संगी अपन जान।
झन कोनो मा भेद मान।
दू दिन के सब सगा तान।
एक सबो के हवय जान।

माटी के तन हवय तोर।
सुनले संगी गोठ मोर।
रखले गठरी बाँध जोर।
छूट जही कब प्राण तोर।

भरम भेद के अपन खोल।
बात मान ले झने डोल।
जिनगी के तैं समझ मोल।
मोह मया मा झने तोल।

रचनाकार- श्री राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद, छत्तीसगढ़

19 comments:

  1. बड़ सुघ्घर कज्जल छंद बधाई हो राजेश भाई💐💐

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  2. राजेश भाई बधाई, बढ़िया कज्जल

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  3. सुग्घर कज्जल छंद राजेश भाई।

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  4. बहुत बढ़िया सृजन हे भाई

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  5. बहुत सुंदर कज्जल छंद राजेश भाई गंजअकन बधाई...🌼🌻🌸🙏

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  6. बहुत सुंदर कज्जल छंद राजेश भाई गंजअकन बधाई...🌼🌻🌸🙏

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  7. सुग्घर कज्जल छंद राजेश भाई

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  8. सुघ्घर रचना भइया जी

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  9. अब्बड़ सुग्घर कज्जल छंद भइया बधाई हो

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  10. बहुत शानदार रचना भाईजी

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  11. बहुत शानदार रचना भाईजी

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  12. सुग्घर कज्जल छन्द।

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  13. बढ़िया रचना हे राजेश भाई.. बधाई हो.।।

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  14. बहुत ही सुग्घर रचना हे मितान गागाड़ा गाड़ा बधाई. ...

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  15. का मिल जाही नता तोड़।
    हिरदे सँग हिरदे ल जोड़।।
    मानन हम सब गुरू गोठ।
    तौ ज्ञान हर होही पोठ।।
    हवय बढ़िया कज्जल छंद।
    पढ़त आत हवै आनंद।।
    अब्बड़ बधाई ....राजेश भाई..

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  16. जीवन दर्शन हे आपके कज्जल छंद मा।बहुत बढ़िया

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