Followers

Wednesday, July 18, 2018

गीतिका छंद:- श्री जगदीश "हीरा" साहू

झन बाँट मनखे ला

एक हे संसार के सब, आदमी सब जान लव।
छोड़ मनखे बाँटना ला, बात सिरतो मान लव।।
जग चलाये बर बनाये, ये जगत के रीत ला।
छोड़ रूढ़ीवाद देखव, एक दूसर के प्रीत ला।।1।।

कोन बाँटे हे मनुज ला, आज देखव सोंच के।
झन लड़व कउवा बरोबर, जेन खाही नोंच के।।
राज पाये बर लड़ाथे, हम सबो ला आज गा।
फूट डालय बीच सबके, तब पहिरथे ताज गा।।2।।

ये गरीबी अउ अमीरी, बाँटथे इंसान ला।
भूल जाथे सब धरम अउ, बेंचथे ईमान ला।।
भूख मा कतको मरत हे, देख ये संसार ये।
अउ मरे कोई अबड़ खा, सुन इही अँधियार ये।।3।।

ऊँच एहा नीच ओहा, ए भरम झन पालबे।
दूरिहा जाही सबो झन, बात ये झन चालबे।।
हे बरोबर आज सबझन, बस समय के बात हे।
आज तक उजियार दिन हा, ढल जथे तब रात हे।।4।।

रंग गोरा रूप करिया, सब दिए भगवान गा।
मन रहय निरमल हमेशा, हे इही सत ज्ञान गा।।
साँवरा कान्हा बढ़ाथे, मान जग के जान ले।
बाँट झन मनखे जनम मा, बात संगी मान ले।।5।।

मान देबे मान पाबे, मान मा भगवान हे।
चीज के अभिमान मत कर, वक़्त के ये ज्ञान हे।।
कोन राजा कोन परजा, सब बखत के बात ये।
राज दिल मा कर सबो के, ये बड़े सौगात ये।।6।।

रचनाकार:- श्री जगदीश "हीरा" साहू
कडार (भाटापारा) छत्तीसगढ़

10 comments:

  1. वाहःहः बहुत बढ़िया छंद सिरजाय हव भाई
    बहुत बहुत बधाई

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद दीदी, आप सब प्रेरणास्रोत आव

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया गीतिका छंद

    ReplyDelete
  4. सुन्दर गीतिका आदरणीय

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर सर

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी

    ReplyDelete