सुनले मोर पुकार
हाथ जोर के बिनती करथौ, सुनले मोर पुकार।
हर ले विपदा मोर देस के, दाई कर उद्धार।।
भूख गरीबी गाँव ल छोड़य, खेत खार आकाल।
मिहनत करने वाला हाथ ल, कर दे माला माल।।
अब झन आये कभू बिमारी, मनखे रहे निरोग।
साफ सफाई अपनाये सब, मोर देस के लोग।।
भारत के सेना ला बल दे, बइरी के बल तोड़।
आतंकी मन थरथर काँपय, भागय सीमा छोड़।।
स्वाभिमान जनता के जागय, होवय देस विकास।
कर दे दाई भ्रष्टाचारी, नेता मन के नास।।
भेद मिटय बेटा बेटी के , मानन एक समान।
सब नर नारी संग चले जी, करय देस गुणगान।।
धरम जात के झगरा टूटय, बड़े सबो मा प्यार।
शोषन करने वाला मन के, डूब जाय व्यापार।।
मिट जाए अज्ञान अँधेरा, सजग रहे इंसान।
दारू दंगा छोड़ बुधारू, बन जाय बुद्दिमान।
पूरब ले सूरज कस निकलय, खुशहाली के भोर।
चहकय सोनचिरैया चिव चिव, देस म चारो ओर।
रचनाकार - श्री मथुरा प्रसाद वर्मा
ग्राम कोलिहा, बलौदाबाजार
हाथ जोर के बिनती करथौ, सुनले मोर पुकार।
हर ले विपदा मोर देस के, दाई कर उद्धार।।
भूख गरीबी गाँव ल छोड़य, खेत खार आकाल।
मिहनत करने वाला हाथ ल, कर दे माला माल।।
अब झन आये कभू बिमारी, मनखे रहे निरोग।
साफ सफाई अपनाये सब, मोर देस के लोग।।
भारत के सेना ला बल दे, बइरी के बल तोड़।
आतंकी मन थरथर काँपय, भागय सीमा छोड़।।
स्वाभिमान जनता के जागय, होवय देस विकास।
कर दे दाई भ्रष्टाचारी, नेता मन के नास।।
भेद मिटय बेटा बेटी के , मानन एक समान।
सब नर नारी संग चले जी, करय देस गुणगान।।
धरम जात के झगरा टूटय, बड़े सबो मा प्यार।
शोषन करने वाला मन के, डूब जाय व्यापार।।
मिट जाए अज्ञान अँधेरा, सजग रहे इंसान।
दारू दंगा छोड़ बुधारू, बन जाय बुद्दिमान।
पूरब ले सूरज कस निकलय, खुशहाली के भोर।
चहकय सोनचिरैया चिव चिव, देस म चारो ओर।
रचनाकार - श्री मथुरा प्रसाद वर्मा
ग्राम कोलिहा, बलौदाबाजार
बहुत बढ़िया भाव हे भैया जी
ReplyDeleteपर रचना हा सुधार माँगत हे।
वाह्ह वाह भइया अब्बड़ सुग्घर देश प्रेम ले भरे सरसी छंद मा गजब सुग्घर बखान करेव बधाई हो भइया
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर सरसी छंद!! बधाई
ReplyDeleteकई जगह सुघ्घर देशज शब्द के प्रयोग हो सकत हे
ReplyDeleteबढ़ै सबो मा प्यार।
ReplyDeleteबन जावै बुधमान।
वाहहहहह वाहहह सर गजब के रचना।
सुग्घर रचना सर जी, सुथदेव भइया के comments म ध्यान देवव,
ReplyDeleteसुखदेव भइया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मथुरा, बहुत सुग्हर छंद।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मथुरा भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मथुरा भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संदेश भइया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया संदेश भइया जी
ReplyDeleteबहुते सुग्घर सरसी सरस भरे वर्मा सर जी।
ReplyDeleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteभारत के सेना ला बल दे,बइरी के बल तोड़ !
ReplyDeleteआतंकी मन थरथर काँपय,भागय सीमा छोड़ !!
वाह बहुत बढ़िया रचना बधाई भईया जी
सुग्घर संदेश...बधाई आपमन ला
ReplyDeleteवर्मा जी,सुग्घर सरसी रचे हव। कुछ कमी दिखत हे ओला सुधारव।
ReplyDeleteमानन ,करय नइ जमत हे।
मानय ठीक रही।
बढ़िया सर,,अउ एक घांव पढ़व
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