*आगे होली*
आगे हाँसत खेलत ऐदे,रंग भरे जी होली।
रंग भरे पिचकारी लेलव,मारव सबला गोली।।
छेड़ौ सबझन साज नगाड़ा,गावव मिल जुल गाना।
बिछे रहय रंगोली जइसन,मउसम लगय सुहाना।।
गुत्तुर-गुत्तुर भाखा राखे,बोलव सुग्घर बोली।
तान लगाके सब झन बोलव,होली हे जी होली।।
हरियर हरिहर रंग रहय जी,नीला पीला डालौ।
ढोल नगाड़ा बाजा बाजय,गीत मया के गालौ।।
संगी साथी साथ रहय जी,कूदत खेलय होली।
देखव कोनो झन रिसाय जी,अइसन होवय बोली।।
होली हे भाई होली हे,तान लगाके घूमौ।
रंग बिरंगी ए भुइयाँ ला ,माथ नवा के चूमौ।।
लागय अइसन जइसे भुइयाँ,रंग रंग मा साजे।
जेन डहर चल देवव खेले,थाप नगाड़ा बाजे।।
रचनाकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा (छ.ग.)
आगे हाँसत खेलत ऐदे,रंग भरे जी होली।
रंग भरे पिचकारी लेलव,मारव सबला गोली।।
छेड़ौ सबझन साज नगाड़ा,गावव मिल जुल गाना।
बिछे रहय रंगोली जइसन,मउसम लगय सुहाना।।
गुत्तुर-गुत्तुर भाखा राखे,बोलव सुग्घर बोली।
तान लगाके सब झन बोलव,होली हे जी होली।।
हरियर हरिहर रंग रहय जी,नीला पीला डालौ।
ढोल नगाड़ा बाजा बाजय,गीत मया के गालौ।।
संगी साथी साथ रहय जी,कूदत खेलय होली।
देखव कोनो झन रिसाय जी,अइसन होवय बोली।।
होली हे भाई होली हे,तान लगाके घूमौ।
रंग बिरंगी ए भुइयाँ ला ,माथ नवा के चूमौ।।
लागय अइसन जइसे भुइयाँ,रंग रंग मा साजे।
जेन डहर चल देवव खेले,थाप नगाड़ा बाजे।।
रचनाकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा (छ.ग.)
वाहःहः बहुत बढ़िया सार छंद के सृजन हे बहिनी
ReplyDeleteकुछ जगह आंशिक सुधार के जरूरत है
।।
वाह्ह वाह आशा दीदी अब्बड़ सुग्घर होली तिहार के गजब सुग्घर वर्णन दीदी
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी सुन्दर रचना
ReplyDeleteवाह्ह्ह् दीदी सुग्घर रचना
ReplyDeleteउम्दा सार छंद सृजन
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर दीदी जी बधाई हो
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया दीदी बधाई हो ... हरियर ह हरिहर होगे हे
ReplyDeleteवाह बहुत बढ़िया दीदी बधाई हो ... हरियर ह हरिहर होगे हे
ReplyDeleteवाह वाह सुग्घर सार छन्द
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना आशा बहन
ReplyDeleteबहुत सुंदर सार छंद वाहहहह वाहहह।
ReplyDeleteहोली के सुग्घर वरनन आशा जी
ReplyDeleteहोली के सुग्घर वरनन आशा जी
ReplyDeleteछेड़ौ सबझन साज नगाड़ा, गावव मिल जुलाना।
ReplyDeleteबिछे रहय रंगोली जिसन, मूस लगय सुइल ..
गावव मिलजुल गाना... चरणांत समझ नइ आइस...
रिसायकल ह शायद रिसाय कस होही का ते...
आप जम्मो आदरणीय छंद साधक मन के मयँ हिरदय ले आभार प्रगट करत हवं ।
ReplyDeleteत्रुटि ला सुधार करके पुनः डालिहौ
गुरुजी..
ReplyDeleteसबझन नगाड़ा के साज ला छेड़ दव अउ सबझन मिल जुल के गाना गाना गावव।
रंगोली हा जइसन चारो मुड़ा बिछे रहिथे जेखर कारन म उसम हा सुहाना लागय।।
जोरदार
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