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Friday, July 6, 2018

रूपमाला छंद -श्री पुरूषोत्तम ठेठवार

पाप नाचे काल बनके, ठाड़ छानी आज
चोर मनके राज आगे, बेंच डारे लाज
सत लुकागे झूठ छागे, मार माते रार
तोर काहे मोर काहे, बाँट खेती खार ।।1 ।।

बाप होगे बेसहारा, रोय माथा पीट
काम बेटा आन करथे, होय जादा ढीठ
रोय दाई सोंच भारी, होय का भगवान
आग लागे हे बिधाता, चेत होगे आन ।।2 ।।

रोज होवय मार झगरा, देख रोय सियान
आन होगे हे जमाना, नीति होगे आन
झूठ बानी सच कहाये, साव होगे चोर
रोय नारी बिपत भारी, मान बाँचे मोर ।।3 ।।

मान बरजे चेत करले, छोट बड़खा जान
कर भलाई जस कमाले, मिलय भारी मान
तोर जिनगी चार दिन के, साँस के का आश
मन रमाले राम गाले, कुमत होही नाश ।।4 ।।


रचनाकार - श्री पुरूषोत्तम ठेठवार
ग्राम -भेलवाँटिकरा
जिला -रायगढ  (छत्तीसगढ़)

13 comments:

  1. बहुत सुघ्घर रूपमाला छंद,,बधाई

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  2. बहुत सुंदर रचना सर

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  3. वाह! सुग्घर रूपमाला छंद

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  4. वाह्ह वाह ठेठवार भइया अब्बड़ सुग्घर रूपमाला छंद बधाई हो भइया

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  5. बहुत बढ़िया ठेठवार जी

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  6. बहुत बढ़िया ठेठवार भाई

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  7. सुग्घर रूपमाला छंद सर जी,बधाई आपमन ला💐💐👍

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  8. आज क हाल के दर्शन करावत गजब के रूपमाला छंद भाई....तहे दिल से बधाई आपला...

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  9. सुग्घर रूपमाला छन्द।

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  10. वाहहह गजब सुघर रूपमाला छंद।

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  11. वाह भइया जी सुघ्घर रूपमाला छंद बधाई हो

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  12. सुघ्घर रूपमाला भइया जी। वाह!

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  13. सुघ्घर रूपमाला भइया जी। वाह!

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