(1) काम धाम ला छोड़,जुवा मा हारे सब ला।
चोरी उदिम मढ़ाय,नीच करथे करतब ला।।
सुनय नही जी बात,अपन ओ करथे मन के।
बनगे हावय चोर,देख ले हन बचपन के।।
(2) बचपन ले हे चोर,करत हे ये हा चोरी।
सुने हवन जी गोठ, करय बड़ ओ मुँहजोरी।।
लगगे हावय थाप, हवय जी बनके लबरा।
चोरी करथे पोठ, रखे हे भरके डबरा।।
(3) चोरी ये हा जान,रोज छुप छुप के करथे।
दिखथे कोनो आत, छोड़ के सबला भगथे।।
हावय बड़ बदनाम,सबो ले गारी खाथे।
नइये थोरुक लाज,चुराये बर अगुवाथे।।
(4) चोरी हावय पाप , तभो ले चोरी करथे ।
जानत हावय बात , कहाँ ये मन मा धरथे ।
लोटा थारी बेच , मान का ओ हर पाही।
छुट जाही परिवार , संग का लेके जाही।।
रचनाकार- श्री राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद (समोदा) तह. आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़
चोरी उदिम मढ़ाय,नीच करथे करतब ला।।
सुनय नही जी बात,अपन ओ करथे मन के।
बनगे हावय चोर,देख ले हन बचपन के।।
(2) बचपन ले हे चोर,करत हे ये हा चोरी।
सुने हवन जी गोठ, करय बड़ ओ मुँहजोरी।।
लगगे हावय थाप, हवय जी बनके लबरा।
चोरी करथे पोठ, रखे हे भरके डबरा।।
(3) चोरी ये हा जान,रोज छुप छुप के करथे।
दिखथे कोनो आत, छोड़ के सबला भगथे।।
हावय बड़ बदनाम,सबो ले गारी खाथे।
नइये थोरुक लाज,चुराये बर अगुवाथे।।
(4) चोरी हावय पाप , तभो ले चोरी करथे ।
जानत हावय बात , कहाँ ये मन मा धरथे ।
लोटा थारी बेच , मान का ओ हर पाही।
छुट जाही परिवार , संग का लेके जाही।।
रचनाकार- श्री राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद (समोदा) तह. आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़
बेहतरीन रचना भाईजी
ReplyDeleteबेहतरीन रचना भाईजी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर रोला छंद भाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रोला छंद।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर रोला छंद भाई
ReplyDeleteशानदार रोल छन्द बर हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर रोला छंद हे भाई
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर रोला छंद हे भाई
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर रोला छंद भइया बधाई हो
ReplyDeleteअनंत बधाई आपमन ला👌👍💐
ReplyDeleteबहुँत सुग्घर रचना। बधाई
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर रोला छंद भाई जी बधाई हो
ReplyDeleteबढ़िया भाई
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