*शिक्षा के लाभ*
शिक्षा के अनमोल रतन ले,करलव मन उजियारा जी।
हर विपदा मा पार लगाही,मिट जाही अँधियारा जी।।
जम्मो कारज बन जाथे जी,तुरते हल मिल जाथे जी।
जेखर मन मा ज्ञान दीप हे,जिनगी भर सुख पाथे जी।।
वैज्ञानिक बन जाथे कतको,खोज करें आनी बानी।
जब मशीन नावा खोजे ता,तब कहलाथे ओ ज्ञानी।।
शिक्षा के तकनीक देखले,नव विधि आज पढ़ाये गा।
प्रोजेक्टर मा चित्र देख ले,सबला देख बताये गा।।
कम्यूटर मा सबो आँकड़ा,राख सुरक्षा दे जानौ।
जनम मरन के कागद लेले,सुग्घर सुविधा ला मानौ।।
आनी बानी ज्ञान देख ले,इंटर-नेट कहाथे गा।
एक जगा मा बइठे संगी,जम्मो खबर बताथे गा।।
मोबाईल हे घरो घर मा,लेवय घर बइठे सेवा।
एखर तँय हा लाभ उठाले,राख ज्ञान के तँय मेवा।।
वैज्ञानिक अउ शिक्षक बनजा,सब बोलै तोला ज्ञानी।
बनके डाक्टर सेवा करले,दे जिनगी बनजा दानी।।
शिक्षा लेके ज्ञान बाँट दे,शिक्षा सुख पहुचाथे गा।
शिक्षक नव रद्दा देवय सुन ,नव आधार बनाथे गा।।
सुनले सुख हा ज्ञान मा बसे,मन मा दीप जलाले गा।
जिनगी मा तँय शिक्षित होके,जिनगी अपन बनाले गा।।
रचनाकार-श्रीमति आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा(छ.ग)
शिक्षा के अनमोल रतन ले,करलव मन उजियारा जी।
हर विपदा मा पार लगाही,मिट जाही अँधियारा जी।।
जम्मो कारज बन जाथे जी,तुरते हल मिल जाथे जी।
जेखर मन मा ज्ञान दीप हे,जिनगी भर सुख पाथे जी।।
वैज्ञानिक बन जाथे कतको,खोज करें आनी बानी।
जब मशीन नावा खोजे ता,तब कहलाथे ओ ज्ञानी।।
शिक्षा के तकनीक देखले,नव विधि आज पढ़ाये गा।
प्रोजेक्टर मा चित्र देख ले,सबला देख बताये गा।।
कम्यूटर मा सबो आँकड़ा,राख सुरक्षा दे जानौ।
जनम मरन के कागद लेले,सुग्घर सुविधा ला मानौ।।
आनी बानी ज्ञान देख ले,इंटर-नेट कहाथे गा।
एक जगा मा बइठे संगी,जम्मो खबर बताथे गा।।
मोबाईल हे घरो घर मा,लेवय घर बइठे सेवा।
एखर तँय हा लाभ उठाले,राख ज्ञान के तँय मेवा।।
वैज्ञानिक अउ शिक्षक बनजा,सब बोलै तोला ज्ञानी।
बनके डाक्टर सेवा करले,दे जिनगी बनजा दानी।।
शिक्षा लेके ज्ञान बाँट दे,शिक्षा सुख पहुचाथे गा।
शिक्षक नव रद्दा देवय सुन ,नव आधार बनाथे गा।।
सुनले सुख हा ज्ञान मा बसे,मन मा दीप जलाले गा।
जिनगी मा तँय शिक्षित होके,जिनगी अपन बनाले गा।।
रचनाकार-श्रीमति आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा(छ.ग)
वाहह्ह् शिक्षा के लाभ, बड़ सुग्घर वर्णन आशा जी
ReplyDeleteवाह वाह बहुत खूब
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी आपमन के मार्गदर्शन आय सब
Deleteबहुत सुघ्घर हे बहिनी
ReplyDeleteगुरु बिन ज्ञान अधूरा हे दीदी,आपमन के अमूल्य समय हा हमन बर अमरित बरोबर आय
Deleteनफे नफा हे नइये एको, घाटा सब पहिचानौ जी।
ReplyDeleteजरय जोत शिक्षा के भाई,अइसन मन मा ठानौ जी।।
राज करय जी हमरो भाखा, बिना लजाये बोलौ जी।
ज्ञान कपाट सबो झन भाई, अपन अपन अब खोलौ जी।।
बहिनी के सुंदर ताटंक छंद बर अंतस ले गाड़ा गाड़ा बधाई....
आपमन के हिरदय ले धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया ताटंक बधाई हो
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी
Deleteधन्यवाद भाई
Deleteबहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeleteVah
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