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Sunday, July 1, 2018

कुण्डलिया छन्द - श्री जगदीश "हीरा" साहू

सुवा

नाचत हे सबझन सुआ, एक जगा जुरियाय।
लुगरा पहिरे लाल के, देखत मन भर जाय।।
देखत मन  भर जाय, सबो झन मिलके गावँय।
सुग्घर सबके राग, ताल मा ताल मिलावँय।।
देखत हे  जगदीश, लगन  ला इकरे जाचत।
देवत हवय अशीष, मगन हे जम्मो नाचत।।

देवारी

सुनता  के   लेके  दिया,  घर-घर  रखबो  आज।
मिलजुल के सब संग मा, घर कुरिया ला साज।।
घर  कुरिया  ला  साज, आज लीपव सब कोती।
लेलव   कुरता  पैंट,   बबा  बर   सादा   धोती।।
सब  ला रख  तँय जोड़,  इही रस्ता ला चुन ता।
देवारी     उपहार ,  लगा   के   राहव   सुनता।।

 पूजव मनखे जिन्दा

जिन्दा मा पूछय नहीँ, मरे नवावय शीश।
मंदिर मा हो आरती, बाहर हे जगदीश।।
बाहर हे जगदीश, खड़े कोनो नइ जानय।
खोजय सब भगवान,बात काबर नइ मानय।।
मनखे   सेवा   सार,  मान  ना  हो   शर्मिंदा।
जिनगी अपन सँवार, पूजले मनखे जिन्दा।।

शौचालय

घर  मा शौचालय बना, बढ़ही  घर के मान।
खुश  रइही  बेटी  बहू, जे  हे घर के  शान।।
जे हे घर के शान,  राख ले खुश तँय ओला।
सँवर जही  घर-बार, पड़य ना रोना तोला।।
कहय आज जगदीश, बना ले तँय पल भर मा।
साथ दिही सरकार, बात  रखना  तँय घर मा।।

रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
छत्तीसगढ़

34 comments:

  1. बहुत बढ़िया
    बहुत बहुत बधाई

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  2. बहुत बहुत बधाई हीरा जी बढ़िया रचना

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  3. बहुत बहुत बधाई हीरा जी बढ़िया रचना

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  4. बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद हीरा जी,बधाई!!

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  5. बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद हीरा जी,बधाई!!

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  6. बढ़िया कुंडलियाँ रचे, हीरा छंद सुजान।
    कतका सुंदर का कहौं,नइ कर सकौं बखान।।
    नइ कर सकौं बखान, समरपन के मैं भाई।
    चालू रखौ मितान, बढ़य एकर ऊँचाई।।
    नइये गरब गुमान, आन हम छत्तिसगढ़िया।
    जग मा छेड़त तान, रचन कुंडलियाँ बढ़िया।।
    भाई जगदीश साहू "हीरा" ल अंतस ले बड़ अकन बधाई.... सादर

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    1. वाहह्ह् गजब के कुण्डलियाँ गुरूजी,
      आप सब ला देखके बहुत कुछ सीखे बर मिलत हे

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    2. वाहह्ह् गजब के कुण्डलियाँ गुरूजी,
      आप सब ला देखके बहुत कुछ सीखे बर मिलत हे

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  7. वाह्ह हीरा भइया अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण कुंडलिया छंद भइया बहुत बहुत बधाई आपला

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  8. बहुत बहुत बधाई हो भाई जी

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  9. वाहहह वाहहह जगदीश जी सुग्घर सुग्घर कुण्डलिया सुग्घर विषय चयन हार्दिक बधाई।

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  10. बड़ सुग्घर रचना सर जी।बधाई।

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  11. वाह्ह्ह वाह्ह्ह गजब सुग्घर सर। बहुत बहुत बधाई

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  12. वाह्ह्ह वाह्ह्ह गजब सुग्घर सर। बहुत बहुत बधाई

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  13. लाजवाब कुण्डलिया छन्द सृजन।

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  14. बहुते बढ़िया सिरजन हे जगदीश जी...

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