*प्राथमिक ज्ञान*
पढ़लव पहिली पाठ,पहल कर स्कूल जाके।
बनही जी आधार,पढ़ँव सब सुग्घर गा के।।
खेलव कूदँव रोज,सँग मा भोजन खावौ।
मध्यांतर मा खेल,मजा कर सब घर जावौ।।
कहँय प्राथमिक ज्ञान हा,देवय सुघ्घर सार जी।
मिलय इही ले मान हा,बनथे सुन आधार जी।।
*जा बेटी ससुरार*
जा बेटी ससुरार, मया तँय राखे रहिबे।
हवँय उही घर बार,सास ला दाई कहिबे।।
देबे सबला मान, ससुर के सेवा करबे।
सबो नता ला जान,मान गुन तँय हा धरबे।।
सुमता रखबे मान ले,जम्मो दुख सुख साँठ ले।
झन छूटय घर बार हा,मया दया के गाँठ ले।।
*नेक रद्दा चुनले*
करम अपन हे हाथ,नेक तँय रद्दा चुनले।
फल के आशा छोड़,धीर ला तयँ हा गुनले।।
मिहनत मा दे ध्यान, डहर हा तोला मिलही।
ठलहा झन तयँ बइठ,करम हा सबला दिखही।
पूजा काम ला मान ले,मिहनत देही साथ गा।
जिनगी इही हे जान ले,हाथ हा जगन्नाथ गा।।
*झन फेंकँव भात*
काहे फेंकँय भात,जगत मा पूजे जाथे।
जीवन चलथे जान,भूख ला इही मिटाथे।।
जांगर टोर कमाय ,अन्न के कौरा बर जी।
करौ अन्न के दान,मदत करके सुन तर जी ।।
अन्न कुँवारी मान हे,जीवन इही चलाय गा।
भोजन बिन तन नाश हे,कतका सुख पहुँचाय गा।।
*होली आगे*
होली आगे देख,सबो संगी जुरियावय।
छेड़ नगाड़ा थाप,थिरक के गाना गावय।।
अपने धुन के साज,तान ला छेड़ँव संगी।
दिखत हवँय जी आज,बने हे रंग बिरंगी।।।
बने मजा के खेल ले,ठेनी झगड़ा छोड़ दे।
मया पिरित के रंग ले,सब नाता ला जोड़ दे।।
*मानुष तन ला जान*
मानुष तन ला जान,काल कब कहाँ ले जावय।
अइसन कर तँय काम,जगत मा गुन ला गावय।।
मानवता ला जान,करम तँय सुग्घर करबे।
मानुष ला पहिचान,गलत झन रद्दा चलबे।।
मरना सत हे मान ले,मानुष के नइ जोर गा।
जियते करम सुधार ले,मरबे ता हो सोर गा।।
रचनाकार-श्रीमति आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा(छ.ग.)
पढ़लव पहिली पाठ,पहल कर स्कूल जाके।
बनही जी आधार,पढ़ँव सब सुग्घर गा के।।
खेलव कूदँव रोज,सँग मा भोजन खावौ।
मध्यांतर मा खेल,मजा कर सब घर जावौ।।
कहँय प्राथमिक ज्ञान हा,देवय सुघ्घर सार जी।
मिलय इही ले मान हा,बनथे सुन आधार जी।।
*जा बेटी ससुरार*
जा बेटी ससुरार, मया तँय राखे रहिबे।
हवँय उही घर बार,सास ला दाई कहिबे।।
देबे सबला मान, ससुर के सेवा करबे।
सबो नता ला जान,मान गुन तँय हा धरबे।।
सुमता रखबे मान ले,जम्मो दुख सुख साँठ ले।
झन छूटय घर बार हा,मया दया के गाँठ ले।।
*नेक रद्दा चुनले*
करम अपन हे हाथ,नेक तँय रद्दा चुनले।
फल के आशा छोड़,धीर ला तयँ हा गुनले।।
मिहनत मा दे ध्यान, डहर हा तोला मिलही।
ठलहा झन तयँ बइठ,करम हा सबला दिखही।
पूजा काम ला मान ले,मिहनत देही साथ गा।
जिनगी इही हे जान ले,हाथ हा जगन्नाथ गा।।
*झन फेंकँव भात*
काहे फेंकँय भात,जगत मा पूजे जाथे।
जीवन चलथे जान,भूख ला इही मिटाथे।।
जांगर टोर कमाय ,अन्न के कौरा बर जी।
करौ अन्न के दान,मदत करके सुन तर जी ।।
अन्न कुँवारी मान हे,जीवन इही चलाय गा।
भोजन बिन तन नाश हे,कतका सुख पहुँचाय गा।।
*होली आगे*
होली आगे देख,सबो संगी जुरियावय।
छेड़ नगाड़ा थाप,थिरक के गाना गावय।।
अपने धुन के साज,तान ला छेड़ँव संगी।
दिखत हवँय जी आज,बने हे रंग बिरंगी।।।
बने मजा के खेल ले,ठेनी झगड़ा छोड़ दे।
मया पिरित के रंग ले,सब नाता ला जोड़ दे।।
*मानुष तन ला जान*
मानुष तन ला जान,काल कब कहाँ ले जावय।
अइसन कर तँय काम,जगत मा गुन ला गावय।।
मानवता ला जान,करम तँय सुग्घर करबे।
मानुष ला पहिचान,गलत झन रद्दा चलबे।।
मरना सत हे मान ले,मानुष के नइ जोर गा।
जियते करम सुधार ले,मरबे ता हो सोर गा।।
रचनाकार-श्रीमति आशा आजाद
पता-एसइसीएल मानिकपुर कोरबा(छ.ग.)
वाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह दीदी
ReplyDeleteवाह बहुत सुग्घर सुग्घर विषय म रचना बधाई हो
ReplyDeleteलाजवाब रचना
ReplyDeleteआपमन हिरदय ले धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी जी
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर दीदी
ReplyDelete