विष्णुप्रद छंद (आधारित गीत )-ज्ञानुदास मानिकपुरी
तोर मया हा बनके दउँडय,खून मोर रग मा।
चाही तोर भरोसा हा बस,मोला पग पग मा।
1-दुश्मन बने जमाना रानी,आँखी देख गड़े।
अब तो मुश्किल हावय बचना,रद्दा रोक खड़े।
कोन अपन सब हवय पराया, ये बइरी जग मा
चाही-----
2-फिकर कुछू के नइये मोला,धार तरी सर हे।
चाहे कोनो कुछू कहय वो,नही कुछू डर हे।
तोर मया बस चाही रानी,चिल्हर या नग मा।
चाही-----
ज्ञानुदास मानिकपुरी
ग्राम-चंदेनी
जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
तोर मया हा बनके दउँडय,खून मोर रग मा।
चाही तोर भरोसा हा बस,मोला पग पग मा।
1-दुश्मन बने जमाना रानी,आँखी देख गड़े।
अब तो मुश्किल हावय बचना,रद्दा रोक खड़े।
कोन अपन सब हवय पराया, ये बइरी जग मा
चाही-----
2-फिकर कुछू के नइये मोला,धार तरी सर हे।
चाहे कोनो कुछू कहय वो,नही कुछू डर हे।
तोर मया बस चाही रानी,चिल्हर या नग मा।
चाही-----
ज्ञानुदास मानिकपुरी
ग्राम-चंदेनी
जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
बहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबहुत बढ़िया वाहह्ह्ह्ह
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबहुत बढ़िया गुरुदेव
ReplyDeleteवाह्ह वाह भइया लाजावाब
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteसुग्घर गीत गुरुदेव बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबने मया पिरीत के छंद रचना सिरजाये हव ज्ञानु जी।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबहुत सुंदर, बहुत बधाई गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
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