सार - छंद (आजादी )रामकली कारे
जुग - जुग भारत भुइयाँ के जी, बने रहय आजादी।
धरव तिरंगा झण्डा ला सब, पहिरव कपड़ा खादी।।
आजादी के डार बीज हा, बेटा रतन गवाँगे।
भारत भुइयाँ के माटी ले, आजादी ला माँगे।।
भारत माता के सेवा बर, अड़बड़ लड़िन लड़ाई।
भगत सिंह आजाद राज गुरु, बोस करिन अघुवाई।।
हाँसत हाँसत फाँसी चढ़गिन, आजादी बलिदानी।
अपन देश के माटी खातिर, देइन अपन जवानी।।
आजादी के आज परब हे, जुरमिल सबो मनाबो।
तीन रंग के ध्वजा तिरंगा, लहर लहर लहराबो।।
भारत माँ के मान बढ़ाबो, देश हमर महतारी।
धाम धरा के रक्षा करबो, अब चलव संगवारी।।
जन गण मन के भारत माता, जय जय तोरे गावँव।
बलिदानी सब वीरन मन के, चरनन माथ नवावँव।।
छंदकार - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
छत्तीसगढ़
जुग - जुग भारत भुइयाँ के जी, बने रहय आजादी।
धरव तिरंगा झण्डा ला सब, पहिरव कपड़ा खादी।।
आजादी के डार बीज हा, बेटा रतन गवाँगे।
भारत भुइयाँ के माटी ले, आजादी ला माँगे।।
भारत माता के सेवा बर, अड़बड़ लड़िन लड़ाई।
भगत सिंह आजाद राज गुरु, बोस करिन अघुवाई।।
हाँसत हाँसत फाँसी चढ़गिन, आजादी बलिदानी।
अपन देश के माटी खातिर, देइन अपन जवानी।।
आजादी के आज परब हे, जुरमिल सबो मनाबो।
तीन रंग के ध्वजा तिरंगा, लहर लहर लहराबो।।
भारत माँ के मान बढ़ाबो, देश हमर महतारी।
धाम धरा के रक्षा करबो, अब चलव संगवारी।।
जन गण मन के भारत माता, जय जय तोरे गावँव।
बलिदानी सब वीरन मन के, चरनन माथ नवावँव।।
छंदकार - रामकली कारे
बालको नगर कोरबा
छत्तीसगढ़
गजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteबड़ सुग्घर।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसुघ्घर रचना बहन।बधाई।
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