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Saturday, February 22, 2020

आशा देशमुख: विष्णुपद छंद


आशा देशमुख: विष्णुपद छंद


गरब निसेनी अतका ऊपर,चढ़के झन इतरा।
गोड़ फिसलही सीधा गिरबे,अब्बड़ हे खतरा।1

उड़ै अकास मा दिन भर जेहर, पंछी ला पूछव।
कहिथे ऊपर ठौर नही हे, सब नीचे सम्भव।2

ढाई आखर मया बोल हा, दुनिया ला जीतय।
सुख दुख के सब संग धरे तब,जिनगी हा बीतय।3

गुण अवगुण सब तोर हाथ मा, का सोना पीतल।
लिपटे रहिथे साँप तभे ले,चंदन हे शीतल।4

भरे हवय इतिहास इहाँ सब,पढ़ लिखके सीखव।
छोड़ कपट अब दया मया ले,ये जग ला जीतव।5

इरखा कपट पाप हा निशदिन,बाढ़ी कस बाढ़य।
संग जाय बस पुण्य कमाई,जुच्छा धन माढ़य।6


आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर हार्दिक बधाई हो

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  2. वाहः अनुपम रचना दीदी।बधाई

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  3. सादर आभार गुरुदेव

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  4. वाह अहंकारी मन बर बड़ गजब के ग्रहणीय रचना। सच में प्रेरणादायक हे दीदी जी

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  5. वाह अहंकारी मन बर बड़ गजब के ग्रहणीय रचना। सच में प्रेरणादायक हे दीदी जी

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