सार छंद - श्रीमती आशा आजाद
समता जग मा बगरावौ जी,भाईचारा लावौ।
समरसता के भाव रहै जी,उजियारा बगरावौ।
मनखे मनखे एक रहव जी,बोलिन सुग्घर बानी।
गुरुघासीदास ह मानौ जी,अब्बड़ राहिन ज्ञानी।
बाबा अम्बेडकर ह बोलिन,जात पात ला भूलौ।
समता के रद्दा म रेगौं,हिरदे मन ला छूलौ।
गाँधी जी के नेक वचन ला,सबझन सुग्घर मानौ।
झूठ लबारी गोठ त्याग के,सबला अपने जानौ।।
इँदिरा गाँधी सुग्घर बोलिस,नारी साहस धरलौ।
अनाचार ले जुरमिल लड़हूँ,तन लोहा कस रखलौ।।
झाँसी के रानी के हिम्मत,सबला ये सिखलाथे।
मुसकिल होवै कतको भारी,दुनियाँ ले लड़ जाथे।
छूआछूत ला दूर भगाके,सबझन मन दमकावौ।
मनुज रक्त हा एक हवे जी,मानवता अपनावौ।।
भेदभाव ला तोड़ौं जम्मो,इरखा द्वेष मिटावौ।
नारी के सम्मान करौ जी,देश ल सुघर बनावौ।।
शिक्षा के अनमोल रतन ला,जन जन मा फैलावौ।
अंतस हिरदे जोश जगाके,कमजोरी ल भगावौ।
छंदकार - श्रीमती आशा आजाद
पता - मानिकपुर, कोरबा छत्तीसगढ़
समता जग मा बगरावौ जी,भाईचारा लावौ।
समरसता के भाव रहै जी,उजियारा बगरावौ।
मनखे मनखे एक रहव जी,बोलिन सुग्घर बानी।
गुरुघासीदास ह मानौ जी,अब्बड़ राहिन ज्ञानी।
बाबा अम्बेडकर ह बोलिन,जात पात ला भूलौ।
समता के रद्दा म रेगौं,हिरदे मन ला छूलौ।
गाँधी जी के नेक वचन ला,सबझन सुग्घर मानौ।
झूठ लबारी गोठ त्याग के,सबला अपने जानौ।।
इँदिरा गाँधी सुग्घर बोलिस,नारी साहस धरलौ।
अनाचार ले जुरमिल लड़हूँ,तन लोहा कस रखलौ।।
झाँसी के रानी के हिम्मत,सबला ये सिखलाथे।
मुसकिल होवै कतको भारी,दुनियाँ ले लड़ जाथे।
छूआछूत ला दूर भगाके,सबझन मन दमकावौ।
मनुज रक्त हा एक हवे जी,मानवता अपनावौ।।
भेदभाव ला तोड़ौं जम्मो,इरखा द्वेष मिटावौ।
नारी के सम्मान करौ जी,देश ल सुघर बनावौ।।
शिक्षा के अनमोल रतन ला,जन जन मा फैलावौ।
अंतस हिरदे जोश जगाके,कमजोरी ल भगावौ।
छंदकार - श्रीमती आशा आजाद
पता - मानिकपुर, कोरबा छत्तीसगढ़
गजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteसुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भाई🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर, भावपूर्ण रचना बधाई
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना,बधाई
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रचना दीदी।।। बधाई हो
ReplyDeleteबेहतरीन दीदी जी
ReplyDeleteसुग्घर रचना हे
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संदेश प्रद रचना दीदी, बहुत बहुत बधाई
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