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Sunday, February 9, 2020

बिष्णुपद छंद-संतोष कुमार साहू

बिष्णुपद छंद-संतोष कुमार साहू

भाई भाई के रिश्ता हा,सदा रहे अइसे ।
राम लखन अउ भरत शत्रुघन,भाई हे जइसे।।

धन दौलत बर भाई भाई,होवय झन झगड़ा।
तभे एकता हरदम राहय,भाई मा तगड़ा।।

प्रेम भाव ला भाई भाई,सदा रखे धर के।
तभ्भे ऊँखर उन्नति होवय,नित सुग्घर घर के।।

एक दूसरा के गलती ला,सीखे नित सहना।
भूल चूक ला क्षमा करे सब,उचित इही कहना।।

गोठ बात हा सब आपस मा,अगर हवय कड़वा।
भाई सुमता हा एखर से,बड़ होवय बड़वा।।

भाई भाई सब सुग्घर ही,सदा रहे हँस के।
मन मुटाव से कभू रहे झन,आपस मा फँस के।।

दुख संकट हा आय कभू तब,दूर करे मिल के।
भाई भाई सम्बंध हरे गा,पक्का ये दिल के।।

छंदकार-संतोष कुमार साहू
रसेला,जिला-गरियाबंद, छत्तीसगढ़

14 comments:

  1. बड़ सुग्घर विष्णुपद छंद रचना,बधाई

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  2. बड़ सुग्घर रचना सर

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  3. बड़ सुग्घर रचना सर

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  4. सुग्घर रचना सर जी

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  5. बहुत सुंदर विष्णु पद छंद, बहुत बधाई

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  6. बहुत बढ़िया रचना
    बधाई हो

    महेन्द्र देवांगन माटी

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  7. अब्बड़ सुग्घर रचना भइया बधाई

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  8. बहुत बहुत बधाई हो सर जी, सुग्घर रचना बर।

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