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Monday, January 11, 2021

उल्लाला छंद- वासन्ती वर्मा*

 *उल्लाला छंद- वासन्ती वर्मा* 


               *खान* - *पान*


नुनिया भाजी अउ दही,संग चना के दार जी।

मिरचा लसून कूट के,छँउका देंव बघार जी।।1।।


चाँउर के फुलवा बने,रोटी गजब मिठाय जी।

मिरचा चटनी मा बने,नोनी बाबू खाय जी।।2।।


तिखुर घाटेंव मूंग के,गुर अउ शक्कर डार जी।

भईया-ददा आय हें,तीजा म लेनहार जी।।3।।


बासी खाबो खेत मा,का पानी का घाम जी।

जुरमिल के निपटाय मा,बनथे सब्बो काम जी।।4।।


लाली भाजी लान के,झटकन टोर निमार जी।

बीजा झुनगा संग मा,लसून मिरचा डार जी।।5।।


 रोटी अँगाकर हा  बनही,लानव केरा पान जी।

चुरोथें ग छेना गोरसी ,खाय लइका सियान जी।।6।।


 बनायें रोटी गा पपची,हाथ अब्बड़ पिराय जी।

 पागें जी गुर के चासनी,निचट पपची मिठाय जी।।7।।


चिला-चटनी बरा छोड़ के,लइकन पिज्जा खाय रे।

देख वसन्ती मुड़ ला धरे,कइसे दिन अब आय रे।।8।।


     - वसन्ती वर्मा, बिलासपुर

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