लावणी छंद - बोधन राम निषादराज
"सकरायत"
पहली परब नवा बच्छर के,
सकरायत ह कहावत हे।
छोड़ दक्षिणायन ला वो हा,
उतरायन मा आवत हे।।
का ले जाही का दे जाही,
कखरो समझ न आवय जी।
मानत हावय पुरखा हमरो ,
संगम आज नहावय जी।।
सुत उठ दर्शन सुरुज देव ला,
लोटा नीर चढ़ावत हे।
छोड़ दक्षिणायन ला वो हा,
उतरायन मा आवत हे।
दान पुण्य के मुहरत हावय,
शुभ दिन सकरायत होथे।
तीली गुड़ के लड़ुवा बाँटय,
नवा पतंग मया बोथे।।
सुग्घर लाली सुरुज देव हा,
बिहना ले बगरावत हे।
छोड़ दक्षिणायन ला वो हा,
उतरायन मा आवत हे।
लहर लहर लहरावत हावै,
चारो खूँट अँजोरत हे।
मकर डहर ले कर्क डहर बर,
देखव सुकवा बगरत हे।।
मीठ मीठ लागे जाड़ा हा,
मनखे सब मुस्कावत हे।
छोड़ दक्षिणायन ला वो हा,
उतरायन मा आवत हे।
छंद साधक - 5
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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