अरविंद सवैया - बोधन राम निषादराज
*सकरायत*
सकरायत जावत हे अब तो,सब जाड़ घलो तिरियावत जाय।
बिहना उठके नदिया जल में,बहिनी भइया मन देख नहाय।।
लड़ुवा बड़ सुग्घर तील बने,सब मंदिर मा अब भोग लगाय।
कर दान कमावय पुण्य सबो,दुख दारिद पाप घलो मिट जाय।।
छंद साधक-5
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम(छ.ग.)
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