Followers

Sunday, January 24, 2021

अमृतध्वनि छंद-बोधनराम निषाद

 *अमृतध्वनि छंद-बोधनराम निषाद


(1) सकरायत(संक्रांति)


आथे ये पहिली परब,नवा बछर जब आय।

दिन ये चौदह जनवरी,सबके मन ला भाय।।

सबके मन ला,भाय नहा के,बड़े बिहनिया।

सुरुज देव के, करै  आरती, दीदी  भइया।।

तिल औ गुड़ के, मुर्रा लाड़ू, मिलके खाथे।

खुशी मनाथे,शुभ सकरायत,शुभ दिन आथे।।


(2) बसंत पंचमी


हरियाली  चारों  डहर, आथे  माघ बसंत।

सुघर मनाथे पंचमी, जुड़  के  होथे अंत।।

जुड़  के  होथे, अंत  घाम हा, बने सुहाथे।

मातु शारदा,जनम परब ला,सबो मनाथे।।

होली डाँड़ा, मुहुरत  होथे, बड़ खुशहाली।

दिखथे भुइयाँ,सरग बरोबर,औ हरियाली।।


बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,कवर्धा

No comments:

Post a Comment