*(दोहा दुमछल्ला*)-चोवाराम वर्मा बादल
जाड़ा लेके आय हे, अंग्रेजी नव वर्ष।
नाचत हे देशी चढ़ा, देखव बेटा हर्ष।।
पर्स हा होगे खाली।
पियाही कोन ह काली।
खाना पीना नाचना, अब तिहार पहिचान।
चढ़ बइठे हे मूँड़ मा, पश्चिम के शैतान।।
गरीबी खड़े दुवारी।
संग मा हे लाचारी।
परबुधिया के शान हा, बाढ़े हाबय आज।
कभू अपन संस्कार मा, करतिच अइसन नाज।।
गुलामी हावय जकड़े।
घेंच ला कसके पकड़े।
खुश होना नइये मना, असली हो आनंद।
बेढंगा सब चाल हा, होना चाही बंद।।
मनै रोज्जे देवारी।
ईद क्रिसमस सँगवारी ।
चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़
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