शक्ति छंद- मोर मयारू
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चले आ मयारू,हमर गाँव मा।
इहाँ मोर पइरी,बजे पाँव मा।।
गजब तोर सुरता,सतावत रथे।
गुनत रात दिन हा,पहावत रथे।।
न दिन हा सुहावै,नहीं रात हा।
करौं का मयारू,बनै बात हा।।
बना दे ठिकाना,सुघर ठाँव मा।
चले आ मयारू,हमर गाँव मा।।
भुलावै नहीं रे, मया के डगर।
कहाँ जाहुँ संगी,कहाँ हे बसर।।
लगाले न सँग मा,तुँहर नाँव मा।
चले आ मयारू,हमर गाँव मा।।
दयावान तैंहा, दिखादे दया।
बलाले भुला झन,बचाले मया।।
पिरोहिल अगोरत,रहूँ छाँव मा।
चले आ मयारू,हमर गाँव मा।।
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छंदकार:-
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम
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