मातु पिता भगवान हे
गीत :- कुकुभ छंद
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मातु पिता भगवान हमर जी,
सेवा जप तप करलौ जी।
एखर कोरा सरग बरोबर,
आवव पइँया परलौ जी।।
जूड़ छाँव आमा छइँहा कस,
महतारी के अँचरा हे।
भोग बरोबर जूठन लगथे,
अमरित कस जी सथरा हे।।
तीरथ कहाँ-कहाँ जी जाहू,
धुर्रा माथा धरलौ जी।
एखर कोरा सरग बरोबर............
पाप पुण्य के लेखा जोखा,
इहें भुगतना परथे जी।
धरम करम हे हाथ सबो के,
मातु-पिता सब हरथे जी।।
सोना चाँदी माटी हे सब,
पुण्य गठरिया भरलौ जी।
एखर कोरा सरग बरोबर.........
दुख के छइँहा झन आवय जी,
बुढ़त काल के बेरा मा।
महल अटारी नइ चाही जी,
गुजरै दिन इहि डेरा मा।।
आँसू छलकय कभू नहीं झन,
आवव चरन पकड़लौ जी।
एखर कोरा सरग बरोबर........
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छंद साधक-5
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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