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Thursday, January 28, 2021

चौपई छंद ( बेटी )-कुलदीप सिन्हा


 

        चौपई छंद ( बेटी )-कुलदीप सिन्हा


बेटी ला झन अबला जान।

बेटी के सब राखव मान।

होथे बेटी फूल समान।

बगरै खुशबू सकल जहान।।1।।


बेटी लक्ष्मी के अवतार।

कोख म येला तैं झन मार।

जानव इनला मुक्ता हार।

समझौ झन गा कोनो भार।।2।।


बेटी के हे कतको रूप।

जइसे होथे चलनी सूप।

पानी जइसे देथे कूप।

काम घलो गा हवे अनूप।।3।।


बेटी ले हे घर परिवार।

होथे ये दू घर के तार।

मात पिता के मया दुलार।

बैरी बर खंजर तलवार।।4।।


बेटी दुर्गा रूप समान।

इनला राधा सीता जान।

रूप बिष्णु मोहनी ग मान।

वहुला तेहा बेटी जान।।5।।


बेटी चण्डी के अवतार।

जान करो नइ अत्याचार।

नइ ते गला तोर तलवार।

काट मचाही हाहाकार।।6।।


महिमा बेटी के अब जान।

गावय गीता वेद पुरान।

सबो देव के पा वरदान।

जग मा बेटी भइस महान।।7।।


छन्दकार

कुलदीप सिन्हा "दीप"

कुकरेल सलोनी ( धमतरी )

6 comments:

  1. बहुत सुंदर, संदेश प्रद रचना

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  2. हार्दिक आभार आदरणीय।

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  3. बहुत सुग्घर सर जी

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  4. हार्दिक आभार आदरणीय।

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