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Friday, January 1, 2021

छंद के छ परिवार की प्रस्तुति - नवा बछर विशेषांक

छंद के छ परिवार की प्रस्तुति - नवा बछर विशेषांक

बधाई नवा बछर के(सार छंद)


हवे  बधाई   नवा   बछर   के,गाड़ा  गाड़ा  तोला।

सुख पा राज करे जिनगी भर,गदगद होके चोला।


सबे  खूँट  मा  रहे  अँजोरी,अँधियारी  झन  छाये।

नवा बछर हर अपन संग मा,नवा खुसी धर आये।

बने चीज  नित नयन निहारे,कान सुने सत बानी।

झरे फूल कस हाँसी मुख ले,जुगजुग रहे जवानी।

जल थल का आगास नाप ले,चढ़के उड़न खटोला।

हवे  बधाई  नवा  बछर  के,गाड़ा  गाड़ा  तोला----।


धन बल बाढ़े दिन दिन भारी,घर लागे फुलवारी।

खेत  खार  मा  सोना  उपजे,सेमी  गोभी  बारी।

बढ़े बाँस कस बिता बिता बड़,यश जश मान पुछारी।

का  मनखे  का  जीव जिनावर, पटे  सबो सँग तारी।

राम रमैया कृष्ण कन्हैया,करे कृपा शिव भोला-----।

हवे  बधाई  नवा  बछर के,गाड़ा  गाड़ा  तोला------।


बरे बैर नव जुग मा बम्बर,बाढ़े भाई चारा।

ऊँच नीच के भेद सिराये,खाये झारा झारा।

दया मया के होय बसेरा,बोहय गंगा धारा।

पुरवा गीत सुनावै सबला,नाचे डारा पारा।

भाग बरे पुन्नी कस चंदा,धरे कला गुण सोला।

हवे बधाई नवा बछर के,गाड़ा गाड़ा तोला---।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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घनाक्षरी-जीतेंन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"


बिदा कर गाके गीत,बारा मास गये बीत।

का खोयेस का पायेस,तेखर बिचार कर।।

गाँठ बाँध बने बात,गिनहा ला मार लात।

अटके ला बीस के जी, इक्कीस म पार कर।।

बैरी झन होय कोई,दुख मा न रोय कोई।

तोर मोर छोड़ संगी,सबला जी प्यार कर।।

दुनिया म नाम कमा,सबके मुहुँ म समा।

बढ़ा मीत मितानी ग,दू ल अब चार कर।।


अँकड़ गुमान फेक,ईमान के आघू टेक।

तोर मोर म जी मन, काबर सनाय हे।।।

दुखिया के दुख हर,अँधियारी म जी बर।

कतको लाँघन परे, कतको अघाय हे।।।

उही घाट उही बाट,उही खाट उही हाट।

उसनेच घर बन,तब नवा काय हे।। ।।।।

नवा नवा आस धर,काम बुता खास कर।

नवा बना तन मन,नवा साल आय हे।।।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया

बाल्को,कोरबा

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 राजेश निषाद: चौपाई छंद।।

सुनलव बहिनी सुनलव भाई, नवा बछर के हवय बधाई।

एक जगह मा सब सकलबो,मिलके खुशियाँ हमन मनाबो।।


उठके देखव बिहना बेरा,मन के मिटगे हवय अँधेरा।

चिरई चिरगुन छोड़त डेरा, आगे हावय नवा सबेरा।।


सुख दुख हमरो कतको आथे,नवा बछर मा सबो भुलाथे।

मन के भेद सबो झन छोड़ो,सबले सुघ्घर नाता जोड़ो।।


 सेवा करव ददा अउ दाई, सुनलव सबझन बहिनी भाई।

करही जउने हर बड़ सेवा,पाही वोहर अड़बड़ मेवा।।


छोड़व सब गा दुनिया दारी,बोलव झन गा झूठ लबारी।।

कर लव पूजा दीप जलाये,मोह मया मा हवव भुलाये।।


मिलके राहव भाई चारा, छोड़व मनके भेद किनारा।

बाँटव मिलके सबो मिठाई,नवा बछर के हवय बधाई।।


रचनाकार:- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा तहसील आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़।

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 नवा बछर दोहा - बोधन राम निषादराज


नवा बछर के आय ले,मन मा खुशी समाय।

नवा नवा रद्दा धरव,काम सफल हो जाय।।


नवा सोंच लव काम बर,रद्दा  नवा  बनाव।

आगू आगू बढ़ चलव,दुनिया ला समझाव।।


बछर गुजर गे देख तो,का तँय खाय कमाय। 

आगू बर अब मन लगा,नवा बछर अब आय।।


नवा जोश अउ शक्ति ले,करव देश बर काम।

जोत जगा लव कर्म के,अमर होय जग नाम।।


नवा साल स्वागत करव,धरलव मन मा ध्यान।

पाछू गीत बिसार दव,आगू चलव सियान।।


छंदकार:

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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 ज्ञानू -सरसी छंद

नवा बछर के शुभ बेला मा, बाँटव मया दुलार।

का का होवत हे दुनिया मा, थोरिक करव बिचार।।


करम धरम ला भूले मनखे, अउ भूले सत्कार।

छोटे छोटे बात बात मा, टूटय घर परिवार।


धन दौलत पद पाके मनखे, करे गजब मतवार।

आज नता रिश्ता मनखे बर, होगे हे व्यापार।।


दाई ददा अन्न पानी बर, तरसत रहिथे रोज।

मिलय नही प्रभु मंदिर बेटा, करले कतको खोज।।


रिश्वतखोरी के दीमक हा, चाट खाय संसार।

भेंट चढ़े भ्रष्ट्राचारी के, लाखों बंठाधार।।


चक्कर काँटय आँफिस लोगन, अफसर हे अबसेन्ट।।

अफसरशाही मौज करत हे, खा खाके परसेन्ट।।


लोकतंत्र नइ बोट बैंक हे, थोरिक करव बिचार।

जिम्मेदारी भूले काबर, राजनीति बाजार।।


धरती दाई रोवत हावय, देख जगत के हाल।

बेजाकब्जा हा फइलत हे, जइसे मकड़ी जाल।।


कोर्ट कचहरी अपराधी बर, घरघुँदिया के खेल।

मौज करत हे खुल्लमखुल्ला, नियम कायदा फेल।।


 अउ किसान बपुरा के जिनगी,  बीतत हे तँगहाल।

कमा कमा मजदूर बिचारा, के उधड़त हे खाल।।


महँगाई हा सुरसा होगे, बाढ़त कनिहा टोर।

करत हवय सब त्राहि त्राहि गा, कोरोना के शोर।।


नवा बछर के शुभबेला मा, लेवव ये संकल्प।

सरग बनाबो ये भुइँया ला, करबो काया कल्प।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

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 त्रिभंगी छंद- विजेन्द्र वर्मा


दुनिया हे मेला,बिकट झमेला,सत के रस्ता, रेंग तने।

जे झूठ लबारी,बोलय भारी,गारी खाथे,सोच बने।।

जे करथे सेवा,पाथे मेवा,होथे जग मा,नाम बने।

मनखे मन सुनलौ,थोकिन गुनलौ,करलव अइसन,काम बने।।


अब झोंक बधाई,सुन गा भाई,नवा साल मा,आस रहै।

दुख पीरा भागय,मनखे जागय,मया दया हा,पास रहै।।

सब करय कमाई,खाय मलाई,इही कामना,हमर हवै।

अब नवा बछर मा,समता घर मा,लाने बर जी,समर हवै।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव (धरसीवाँ)

जिला-रायपुर

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 नवा साल (सरसी छंद)


बीते बात मा टेन्सन पाले, अपन बिगाड़े चाल।

मंद नशा मा रात बिताए,नवा कहां ए साल।।


मार काट कुकरी ला खाए,ले डारे तैं जान।

अल्लर अल्लर रेंगत हावस,कहिथस पउवा लान।।


हिन्दू मन के परंपरा ला,भूले काबर आज।

अँगरेजन के रंग रँगे हस ,नइये चिटको लाज ।।


नरियर धरके मंदिर जाते,उठके होत बिहान।

तब तो आही नवा खुशी हा,अँगना तोर मितान ।।


हिन्दू मन के नवा साल हा,आथे महिना चइत।

खुशी मनाबे धरके भगवा,झंडा ला ओ पइत।।


         साधक सत्र 10

परमानंद बृजलाल दावना

        6260473556

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 ताटंक छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


नवा बछर के स्वागत कर लौ, मन मा आस जगाये हे।

गये साल के त्रास मिटा के, खुशियाँ धर  ये आये हे।


दीन दुखी कल्याण लिये अउ, मानवता भाईचारा।

जीव चराचर मंगलमय हो, अविरल प्रेम बहे धारा।


मृत शरीर नव प्राण लिये ये, गीत प्रेरणा  नव गाथा।

देश क्षितिज मा ऊँचा राहय, भारत माता के माथा।


तान कोयली सुंदर छेड़त, गीत पपीहा गाये हे।

नवा बछर के स्वागत कर लौ, मन मा आस जगाये हे।


ऊँच नीच के भेद मिटे जग, जाति धरम ना खाई हो।

मनखे मनखे एक बरोबर, समरसता परछाईं हो।


मान बढ़े यशगान बढ़े नित, नव प्रकाश उजियारी हो।

मन मंदिर में जोत जले सत, महके मन फुलवारी हो।


सुमता समता भाव सकेले, गजानंद धर लाये हे।

नवा बछर के स्वागत कर लौ, मन मा आस जगाये हे।


छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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नवा साल मा सब झन झोंकव, शुभ शुभ हमर बधाई।

काम-बुता ला साज-साध के,खावव खीर मलाई।।


पहली जइसे सुरुज नरायण, चंदा और सितारा।

दिन तिथि अउ जुड़ ताप उही हे, बदले हे बस नारा।

मोल समझ लव कालचक्र के, अउ कर लव गुरुताई ।

नवा साल मा सब... 


गये बछर के सुरता राखत, नवा सोच ला लावव।

नव विचार अंतस मा धरके, जिनगी सफल बनावव।

पुन्नी कस अंजोर करे बर, आभा ला बगराई।

नवा साल मा सब...


आपाधापी हाय हफर मा, अरझे हे जिनगानी ।

चाल चलन लाटा फाॅंदा मा, झन उतरे जी पानी ।

मातु-पिता रिश्ता नाता के, होवय झन रुसवाई।

नवा साल मा सब ...


नाप जोख लव घटे-बढ़े ला, का खोये का पाये।

तोर जतन के पक्का फर मा, ररुहा भूख मिटाये।

झूठ फरेबी आदत वाले, लेसव सब चतुराई।

नवा साल मा सब...


धूप छाॅंव जस निरमल संगी, साफ नियत ला राखव। 

बन अवाज सब दुखिया मन के ,सदा नीत ला भाखव।

बने देख लव दरपन पट मा, अपन करम परछाई।

नवा साल मा सब...


अकड़बाज ला सोज करे बर, चलो टेड़गा बनबो।

नारी मन के मान रखे बर, उठा बेड़गा हनबो।

नेकी के रद्दा मा रेंगत, करबो जी अगुवाई।

नवा साल मा सब...


सपना ला साकार करे बर, अड़बड़ महिनत चाही।

डिगे नहीं जे अपन लक्ष्य ले, उही सदा अघुवाही।

होय फलित जी सबके मनसा, अइसन करव कमाई ।

*नवा साल मा सब झन झोंकव, शुभ शुभ हमर बधाई।*


महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला राजनांदगांव

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आशा देशमुख

नव साल हे ।खुशहाल हे।

विपदा टरे। सुख हा भरे।


मनमीत रे।गा गीत रे।

जग खुश रहै।गंगा बहै।


सूरुज उगे।किस्मत जगे।

उजियार हो।आधार हो।


सद्भावना।शुभकामना।

जग घूम ले।पग चूम ले।


विश्वास हे।उल्लास हे।

तँय उड़ बने।मन बल सने।


मुँह हार के।फटकार के।

शुभ हाथ मा।जग साथ मा।


आकाश हे ।कैलाश हे।

ईश्वर हवे।ठुड़गा नवे।


जग जीत ले।सच रीत ले।

नेकी करौ।गड्डा भरौ।


घर द्वार मा।परिवार मा।

बसथे मया।रहिथे दया।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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सरसी छंद- अशोक धीवर "जलक्षत्री"


आये हावय नवा बछर हा, लेके सुख सौगात।

चिंता करना छोड़ हँसव अब, दुख के पल हे जात।।

शुभकामना पठोवत हावँव, नवा बछर के आज।

सबझन ला सुख शान्ति मिले अउ, सुफल  होय सब काज।।

सबके जिनगी सुखी रहय अउ, सुघर चलय घर बार।

धन दौलत पद मान बड़ाई, सब ला मिलय अपार।।

बिते साल मा गलती होही, क्षमा चहँव कर जोर।

"जलक्षत्री" ला बुरा न समझव, विनती हावय मोर।। 



रचनाकार अशोक धीवर जलक्षत्री

तुलसी (तिल्दा-नेवरा)

जिला- रायपुर (छत्तीसगढ़)

सचलभास क्र. - ९३००७१६७४०

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गीत-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


नवा बछर मा नवा आस धर,नवा करे बर पड़ही।

द्वेष दरद दुख पीरा हरही,देश राज तब बड़ही।


साधे खातिर अटके बूता,डॅटके महिनत चाही।

भूलचूक ला ध्यान देय मा,डहर सुगम हो जाही।

चलना पड़ही नवा पाथ मा,सबके अँगरी धरके।

उजियारा फैलाना पड़ही, अँधियारी मा बरके।

गाँजेल पड़ही सबला मिलके,दया मया के खरही।

द्वेष दरद दुख पीरा हरही,देश राज तब बड़ही।


जुन्ना पाना डारा झर्रा, पेड़ नवा हो जाथे।

सुरुज नरायण घलो रोज के,नवा किरण बगराथे।

रतिहा चाँद सितारा मिलजुल,रिगबिग रिगबिग बरथे।

पुरवा पानी अपन काम ला,सुतत उठत नित करथे।

मानुष मन सब अपन मूठा मा,सत सुम्मत ला धरही।

द्वेष दरद दुख पीरा हरही,देश राज तब बड़ही।


गुरतुर बोली जियरा जोड़े,काँटे चाकू छूरी।

घर बन सँग मा देश राज के,संसो हवै जरूरी।

जीव जानवर पेड़ पकृति सँग,बँचही पुरवा पानी।

पर्यावरण ह बढ़िया रइही, तभे रही जिनगानी।

दया मया मा काया रचही,गुण अउ ज्ञान बगरही।

द्वेष दरद दुख पीरा हरही,देश राज तब बड़ही।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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करन सुवागत नवा बछर के


कलम किताब अउ कापी धर के।करन सुवागत नवा बछर के।

पूजा कर बावन अक्षर के।करन सुवागत नवा बछर के


सेमी कस हाॅंसत मुस्कावत।धनिया कस सबके मन भावत।

सरसों कस गावत लहरावत।गन्ना जइसे ज्ञान बतावत।


किसिम किसिम भोजन के नेमत,चना सहीं लटलट ले फर के।

कलम किताब अउ कापी धर के, करन सुवागत नवा बछर के।


गहूॅं गियानिक कस हितकारी।गोभी आलू कस तरकारी।

पालक लाल मुराई भाजी। लाल टमाटर कस गुणकारी।


धर के दाना माथ नवाना। सद्गुण अपनावन राहर के।

कलम किताब अउ कापी धर के।करन सुवागत नवा बछर के।


भाव रखन खलिहान बरोबर।जइसे भरथे धान घरों-घर।

सुख सुविधा सब पाॅंय बरोबर।सुमता पावय मान घरों-घर।


लोटा मा जल धर औंछारत,अन्नपुर्णा के पॅंउरी पर के।

कलम किताब अउ कापी धर के।करन सुवागत नवा बछर के।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. बहुत सुंदर संग्रह आप जम्मों गुरुदेव अउ दीदी भैया मन ला मोर सादर प्रणाम अउ नवा बछर के गाड़ा गाड़ा बधाई।

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  2. बहुत सुग्घर संकलन

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