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Monday, January 4, 2021

सोरठा छंद -ज्ञानू मानुकपुरी

 सोरठा छंद -ज्ञानू मानुकपुरी


सहिके खुद जी धूप, रखथे हम ला छाँव मा।

ददा खुदा के रूप, महिमा ओखर का कहँव।।


इही हमर भगवान, कोरा मा सुख शाँति हे।

गावय बेद पुरान, दाई के महिमा अबड़।।


लेके गुरुके ज्ञान, रंग करम के खुद भरव।

रूप दिए भगवान, जनम दिए दाई ददा।।


कोन दिखाये राह, जग अँधियारा गुरु बिना।

जिनगी लगे अथाह, डेरा माया मोह के।।


सादर मोर प्रणाम, गुरुवर अउ दाई ददा।

बनथे बिगड़े काम, इँखरे किरपा ले इहाँ।।


ज्ञानु मानिकपुरी

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