*अमृतध्वनि छंद*-बोधनलाल निषाद
(1) गुरु वंदना
चरनन माथा टेक के,गुरुवर करौं प्रणाम।
महिमा तोर अपार हे,पूजँव बिहना शाम।।
पूजँव बिहना,शाम आरती, गुन ला गावँव।
तोर चरन के, धुर्रा माटी, माथ लगावँव।।
मन मन्दिर मा, सदा बिराजौ,दे के दरशन।
गंगा जल कस,बरसत आँसू,धोवँव चरनन।।
(2)
दरशन के आशा लगे, गुरुवर पूरनकाम।
महिमा अमित अपार हे,जग मा तुँहरे नाम।।
जग मा तुँहरे, नाम अबड़ हे, बड़ गुनधारी।
सत् के डोंगा, पार लगैया, तारनहारी।।
सेवा मा हे,तुँहर सदा गुरु,तन-मन जीवन।
सुत उठ पावँव,निसदिन मँय तो,तुँहरे दरशन।।
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा(कबीरधाम)
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