चौपैया छन्द - श्री हेमलाल साहू
(1)
छोड़व मन माया, माटी काया, झन करहूँ अभिमाना।
चारे दिन जिनगी, सबला संगी, एक जगह हे जाना।।
संतोष रखै सुख, मिलै नहीँ दुख, अपन करम के भागे।
मन कतको जागे, कतको भागे, काल सबो ले आगे।।
(2)
तज जात पात ला, मान बात ला, आगू बड़ जा भाई।
सब संग जोर के, गाँव खोर के, रद्दा बने बनाई।।
आवौ सब पढ़बो, आगू बढ़बो, जिनगी सफल बनाबो।
सब गाँव म जाबो, अलख जगाबो, शिक्षा ला बगराबो।।
रचनाकार - श्री हेमलाल साहू
ग्राम - गिधवा (बेमेतरा) छत्तीसगढ़
(1)
छोड़व मन माया, माटी काया, झन करहूँ अभिमाना।
चारे दिन जिनगी, सबला संगी, एक जगह हे जाना।।
संतोष रखै सुख, मिलै नहीँ दुख, अपन करम के भागे।
मन कतको जागे, कतको भागे, काल सबो ले आगे।।
(2)
तज जात पात ला, मान बात ला, आगू बड़ जा भाई।
सब संग जोर के, गाँव खोर के, रद्दा बने बनाई।।
आवौ सब पढ़बो, आगू बढ़बो, जिनगी सफल बनाबो।
सब गाँव म जाबो, अलख जगाबो, शिक्षा ला बगराबो।।
रचनाकार - श्री हेमलाल साहू
ग्राम - गिधवा (बेमेतरा) छत्तीसगढ़
सुग्घर सिरजाय हव् हेम भाई।
ReplyDeleteबधाई ।
सादर धन्यवाद दिलीप भैया
Deleteबहुत बढ़िया हेम भाई
ReplyDeleteअइसने आधु बढ़त रहव
सादर धन्यवाद दीदी
Deleteसुग्घर लागिस जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मथुरा भैया
Deleteसुघ्घर चौपैया छंद!बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद वर्मा भैया
Deleteसुघ्घर चौपैया छंद!बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हेम भाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद जीतेंन्द्र भैया
Delete