सार-छंद - श्री असकरन दास जोगी
करही पाके खनखन बाजे,
बमरी फर तो गाँसे !
परसा फूले बोइर झरगे,
लीम झुमर के हाँसे !!१!!
बनतुलसा के रुँधना काड़ी,
उल्ला भाजी बगरे !
डूमर डारा हरियर छाये,
मैना गावत हबरे !!२!!
सूरुज ऊँघत बुड़ती कोती,
पीपर पड़की डेरा !
घुघवा खुसरा बाहिर निकले,
होगे संझा बेरा !!३!!
पानी पसिया पीयावन जी
नोहय हमर झमेला !
सुरर-सुरर के डारन पैरा,
खावय गरुवा जेला !!४!!
बिजली बरगे अँगना अँगना,
मन मंदिर मा दीया !
पोहे अंग-अंग मा निरगुन,
सुरती बाँधे जीया !!५!!
धरम करम के पढ़ले पोथी,
तीरथ लागै अँगना !
राज-राज ला काबर फिरबे,
दाई बाँधत बँधना !!६!!
सार-छंद के रचना खाँटी,
सबद-सबद के मोती !
अलथा-कलथा बाँधवँ संगी,
पहिरवँ धोवा धोती !!७!!
रचनाकार - असकरन दास जोगी
ग्राम - डोंडकी, पोस्ट - बिल्हा , जिला - बिलासपुर
छत्तीसगढ़
करही पाके खनखन बाजे,
बमरी फर तो गाँसे !
परसा फूले बोइर झरगे,
लीम झुमर के हाँसे !!१!!
बनतुलसा के रुँधना काड़ी,
उल्ला भाजी बगरे !
डूमर डारा हरियर छाये,
मैना गावत हबरे !!२!!
सूरुज ऊँघत बुड़ती कोती,
पीपर पड़की डेरा !
घुघवा खुसरा बाहिर निकले,
होगे संझा बेरा !!३!!
पानी पसिया पीयावन जी
नोहय हमर झमेला !
सुरर-सुरर के डारन पैरा,
खावय गरुवा जेला !!४!!
बिजली बरगे अँगना अँगना,
मन मंदिर मा दीया !
पोहे अंग-अंग मा निरगुन,
सुरती बाँधे जीया !!५!!
धरम करम के पढ़ले पोथी,
तीरथ लागै अँगना !
राज-राज ला काबर फिरबे,
दाई बाँधत बँधना !!६!!
सार-छंद के रचना खाँटी,
सबद-सबद के मोती !
अलथा-कलथा बाँधवँ संगी,
पहिरवँ धोवा धोती !!७!!
रचनाकार - असकरन दास जोगी
ग्राम - डोंडकी, पोस्ट - बिल्हा , जिला - बिलासपुर
छत्तीसगढ़
बहुत ही सुग्घर सार छंद मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत ही सुग्घर सार छंद मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह भाई जोगी जी बहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह भाई जोगी जी बहुत बढ़िया
ReplyDeleteवाह वाह जोगी जी,क्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सार छंद मा रचना ,अशकरन भैया। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भैया जी सादर बधाई
ReplyDeleteवाह जोगी जी वाह गजब के सार छंद।।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर सार छंद जोगी जी। बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर सार छन्द हे जोगी जी ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteलय मा सुग्घर छाँद बाँध के रचना बने सजाये।
ReplyDeleteतइहा के सुरता कर कर के हमरो मन हरसाये।।
गाड़ा गाड़ा बधाई भाई .....
जय जोहार....
सुग्घर सार छन्द भइया
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर सार छंद जोगी भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई
ReplyDeleteआप सब ले हिरदे ले गाड़ा गाड़ा धन्यवाद
ReplyDeleteआप सब ले हिरदे ले गाड़ा गाड़ा धन्यवाद
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