मदिरा सवैया - श्रीमती आशा देशमुख
(1)
राम रहीम धरे मुड़ रोवत नाम इँहा बदनाम करे ।
उज्जर उज्जर गोठ करे अउ काजर के कस काम करे ।
रावण के करनी करके मुख मा कपटी जय राम करे ।
त्याग दया तप नीति बतावय भोग उही दिन शाम करे ।
(2)
काम करो अइसे जग मा सब निर्मल देश समाज रहे।
मानय नीति निवाव सबो झन सुघ्घर गाँव सुराज रहे ।
दीन दुखी कउनो झन राहय हाँथ सबो श्रम काज रहे
हाँसत खेलत बीतय गा सबके जिनगी सुर साज रहे ।
(3)
सूरज चाँद उवे जग मा गुरु के बिन ये अँधियार हवे ।
जे जिनगी उजियार करे गुरु हे जगतारन हार हवे ।
वेद पुराण मिले जग ला सब ये गुरु के उपकार हवे ।
अंतस जोत जलावत हे महिमा गुरु ज्ञान अपार हवे ।
(4)
मान मरे पुरखा मन के अउ जीयत बाप इँहा तरसे ।
रीत कहाँ अब कोन बतावय नीर बिना मछरी हरसे ।
देखत हे जग के करनी सब रोवत बादर हा बरसे ।
फोकट के मनखे अभिमान दिनों दिन पेड़ सही सरसे ।
रचनाकार - श्रीमती आशा देशमुख
एन टी पी सी कोरबा, छत्तीसगढ़
सुघ्घर मदिरा सवैया छंद बर बधाई।
ReplyDeleteदीदी सादर आभार नमन
Deleteसुघ्घर मदिरा छंद बर बधाई।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् दीदी सुग्घर मदिरा सवैया सम सामयिक अउ गुरु के महिमा के बखान
ReplyDeleteदुर्गा भाई अन्तस् ले आभार
Deleteआपके कलम अइसने चलत रहय दीदी
ReplyDeleteगुरुदेव के आशीष हरे भाई
Deleteआपके कलम अइसने चलत रहय दीदी
ReplyDeleteवाह्ह वाह्ह लाजवाब । विधान अउ भाव मा सोला आना मदिरा सवैया। बहुत बहुत बधाई आशा बहिनी जी।
ReplyDeleteसादर आभार नमन भैया जी
Deleteवाह्ह् वाह्ह्ह सुग्घर भाव ल धरे सवैया हे दीदी।
ReplyDeleteसादर आभार भाई सुखदेव
Deleteबहुत बढ़िया सवैया आशा दीदी
ReplyDeleteजबरदस्त सवैया दीदी। बधाई हो।
ReplyDeleteसादर आभार दिलीप भाई जी
Deleteलाजवाब मदिरा सवैया,आशा दीदी। बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसादर आभार भाई मोहन
Deleteबहुँत सुघ्घर बधाई हो दीदी
ReplyDeleteसादर आभार भाई जोगी
Deleteबहुँत सुघ्घर बधाई हो दीदी
ReplyDeleteजानत हें गुरु छंद विधा जन मानस बीच मढ़ावत हें।
ReplyDeleteचाहत राखत ठोस सबो झन ज्ञान बढ़ावत जावत हें।।
साहित के सब साधक जानव सुंदर छंद सजावत हें।
सीखत छंद विधान सबो गुरुके सनमान बढ़ावत हें।।
श्रद्धेय गुरुवर भैया अरुण निगम जी के सानिध्य मा मंच के जम्मो साधक मन के मन मा छंद अतेक रच बस गे हे के जम्मो साधक एमा पोट्ठ होगे हँवय....बहिनी आशा के हिंदी मुक्तक, नवगीत के जतका तारीफ़ करन कम परही..फेर हमर प्रांत के बोली म छंद के घँई ल पकड़िन अउ उहू म महारत हासिल करिन...दिल खुश होगे...
अब्बड़ अकन बधाई बहिनी आशा ल....
सादर नमन घलो....
आपमन के प्रतिक्रिया हमेशा मोला कोंदी कर देथे भाई जी
Deleteआपके स्नेह से अभिभूत हँव मैं
बेहतरीन सृजन दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteसादर आभार भाई ज्ञानु
Deleteबेहतरीन सृजन दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteलाजवाब रचना दीदी
ReplyDeleteसादर आभार भाई हेम
Deleteगुरूजी आपमन के कृपा के का बखान करंव गुरुदेव
ReplyDeleteये उपकार के नमन करत हँव गुरुदेव
बहुत बढ़िया रचना दीदी ,लाजवाब दीदी ।
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