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Sunday, September 24, 2017

विधान रोला छन्द - अरुण कुमार निगम

विधान रोला छन्द - अरुण कुमार निगम
मतवार (रोला छन्द)

पछतावै   मतवार ,  पुनस्तर   होवै   ढिल्ला
भुगतै  घर  परिवार , सँगेसँग   माई-पिल्ला
पइसा  खइता  होय, मिलै दुख झउहा-झउहाँ
किरिया  खा  के आज ,  छोड़  दे  दारू-मउहाँ

रोला छन्द

डाँड़ (पद) - , ,चरन -  
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, बड़कू या नान्हें आवै.
हर डाँड़ मा कुल मातरा२४ ,
यति / बाधाबिसम चरन मा ११ मातरा के बाद अउ सम चरन मा १३ मातरा के बाद यति सबले बढ़िया माने जाथे, रोला के डाँड़ मा १२ बड़कू घला माने गे हे ते पाय के १२ मातरा या १२ ले ज्यादा मातरा मा घला यति हो सकथे. एकर बर कोन्हों बिसेस नियम नइ हे.
खास- डाँड़ मन के आखिर मा बड़कू या नान्हें आना चाहिए

पहिली डाँड़ (पद)

पछतावै         मतवार -              पहिली चरन  
(१+१+२+२)+(१+१+२+१)     =      ११  

पुनस्तर        होवै   ढिल्ला -      दूसर चरन   
(१+२+१+१)+(२+२)+(२+२)  =      १३

दूसर डाँड़ (पद)

भुगतै        घर     परिवार-          तीसर चरन  
(१+१+२)+(१+१)+(१+१+२+१) =     ११

सँगेसँग        माई-पिल्ला -          चउथा चरन   
(१+२+१+१)+(२+२)+(२+२)    =     १३

बिसम चरन के आखिर मा पहिली डाँड़ मा (वार”/ वार”) माने बड़कू,नान्हें (२,१) अउ सम चरन के आखिर मा दूसर डाँड़ मा बड़कू आय हे.
तुकांत- दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा (ढिल्ला / पिल्ला) आय हे. 

रचनाकार - अरुण कुमार निगम 
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

7 comments:

  1. गुरुदेव ये रोला छंद मोर दिमाक म अइसे बस गे हे की जब भी कोनो विचार अचानक आथे त रोला म लिखाथे।
    ओ नवा साधक मन बर बने उदीम करे हव कि नियम घलो पोस्ट कर दे हव।
    प्रणाम।

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  2. गुरुदेब के अनमोल रतन
    एकर कोई सानी नइहे
    सादर नमन गुरुवर

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  3. अनुपम रोला हे गुरुदेव।सादर नमन ।

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  4. बहौत सुघ्घर रोला छंद। बधाई। आपके समग्र प्रयास के कारन छत्तीसगढ़ी भाषा ला ताकत मिलत हे।

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  5. बहौत सुघ्घर रोला छंद। बधाई। आपके समग्र प्रयास के कारन छत्तीसगढ़ी भाषा ला ताकत मिलत हे।

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  6. अनुपम रोला गुरुदेव

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