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Saturday, September 2, 2017

रोला छन्द श्री गजानंद पात्रे

रोला छन्द श्री गजानंद पात्रे
(1)
मिलके आघू बढ़व,करव पूरा सब सपना।
सुघ्घर गढ़व सुराज,कोन दूसर सब अपना।।
सुनलौ आज गुहार,चीख करथे महतारी।
बिसरत संस्कृति आज,याद कर पात्रे पारी।।

(2)
कोठी कोठी धान,खुशी होवय जी भारी।
चहके खेती खार,संग लइका महतारी।।
राहर तिवरा मूंग,हवय खेती के बेरा ।
आगे हमर तिहार,माघ पूस छेरछेरा।।

(3)
जिनगी बइला जान,हवे गाड़ा ये काया।
जीयत भरके साथ,फेर बिरथा हे माया।।
आघू बाढ़य हाथ,सुखी जीवन के ओरा।
चिंता छोड़व माथ,थाम उन्नति के डोरा।।

रचनाकार - गजानन्द पात्रे
छत्तीसगढ़

15 comments:

  1. बधाई हो पात्रे जी।सुग्घर रोला छंदछंद।

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  2. बहुत सुंदर रोला छंद भइया

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  3. बढ़िया रोला छंद सृजन करे हव पात्रे भाई

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  4. सुग्घर रोला छंद बधाई पात्रे जी।

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  5. सुग्घर रोला छंद बधाई पात्रे जी।

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  6. बहुत सुग्घर रोला छंद,गजानन्द भैया। बहुत बहुत बधाई।

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  7. श्रद्धेय गुरुदेव ल नमन अउ आप सबो ल सहृदय धन्यवाद।।

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  8. बड़ सुग्घर रोला रचना पात्रे जी। बधाई हे।

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  9. बहुँत सुघ्घर रोला गजानंद जी बधाई हो

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  10. बहुँत सुघ्घर रोला गजानंद जी बधाई हो

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  11. सुग्घर रोला छंद बहुत बहुत बधाई सर जी

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  12. बहुत सुग्घर रोला छंद सर।सादर बधाई

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  13. बहुत सुग्घर रोला छंद सर।सादर बधाई

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