चौपई छन्द - श्रीमती रश्मि गुप्ता
डोरी मा सुघ्घर गुंथाय ।
नोनी बाबू के मन भाय ।।
दाई बइठ के गीत गाय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
गरमी मे अमसरा सुखाय।
मचिया मा जी अबड़ लुभाय ।।
सबके मुँह मा पानी आय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
अँगना मे दे पानी छीच ।
मचिया ला रख बीचे बीच ।।
बइठ ले सुघ्घर हवा आय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
जाड़ में मचिया अकड़ जाय।
सोझियाए मा मजा आय।।
देवन कूद के सोझियाय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
(2)
धक धक करय जीव हर मोर।
कतका सुनव गोठ ला तोर ।।
बादर घपटे हे घनघोर ।
नागर बइला झटकिन जोर ।।
होत बिहनिया चुलहा जोर ।
चाय मढ़ा झन कर तै सोर।।
लीप बहार दुवारी खोर।
सुघ्घर दिखही घर हर मोर।।
दार मढ़ा के कर असनान ।
भोले के तै कर ले ध्यान।।
गोठ सियानी तै हर मान ।
आथे काम गुरु के ज्ञान।।
साग सुधार बहुरिया मोर।
अँधना डबकत हावय तोर।।
बारा बजके भात परोस।
अँचरा ला कनिहा मा खोंस।।
बजके चार बेनी कोर।
आवत होही बेटा मोर।।
लाये हौ मैं भाजी टोर।
सुघ्घर हावय अभी अँजोर।।
करले बहू बने सिंगार।
लाये हावव तोर बर हार।।
संझा होवत दीया बार।
रइही सुख से घर परिवार ।।
रचनाकार - श्रीमती रश्मि गुप्ता
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
डोरी मा सुघ्घर गुंथाय ।
नोनी बाबू के मन भाय ।।
दाई बइठ के गीत गाय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
गरमी मे अमसरा सुखाय।
मचिया मा जी अबड़ लुभाय ।।
सबके मुँह मा पानी आय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
अँगना मे दे पानी छीच ।
मचिया ला रख बीचे बीच ।।
बइठ ले सुघ्घर हवा आय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
जाड़ में मचिया अकड़ जाय।
सोझियाए मा मजा आय।।
देवन कूद के सोझियाय ।
नान्हे मचिया गजब सुहाय ।।
(2)
धक धक करय जीव हर मोर।
कतका सुनव गोठ ला तोर ।।
बादर घपटे हे घनघोर ।
नागर बइला झटकिन जोर ।।
होत बिहनिया चुलहा जोर ।
चाय मढ़ा झन कर तै सोर।।
लीप बहार दुवारी खोर।
सुघ्घर दिखही घर हर मोर।।
दार मढ़ा के कर असनान ।
भोले के तै कर ले ध्यान।।
गोठ सियानी तै हर मान ।
आथे काम गुरु के ज्ञान।।
साग सुधार बहुरिया मोर।
अँधना डबकत हावय तोर।।
बारा बजके भात परोस।
अँचरा ला कनिहा मा खोंस।।
बजके चार बेनी कोर।
आवत होही बेटा मोर।।
लाये हौ मैं भाजी टोर।
सुघ्घर हावय अभी अँजोर।।
करले बहू बने सिंगार।
लाये हावव तोर बर हार।।
संझा होवत दीया बार।
रइही सुख से घर परिवार ।।
रचनाकार - श्रीमती रश्मि गुप्ता
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
बहुत सुघ्घर चौपई छंद दीदी।।
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteअब्बड़ सुघ्घर !!!! ��������
ReplyDeleteधन्यवाद राजर्षि जी
Deleteवाह वाह दीदी,गजब सुघ्घर चओपाई
ReplyDeleteधन्यवाद जितेन्द्र भाई
Deleteबहुत सुग्घर चौपई छंद ,रश्मि दीदी।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई
Deleteबहुत सुग्घर छंद हे दीदी वाह्ह्ह्ह्ह् बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद दुर्गा भाई
Deleteवाह वाह रश्मि गुप्ता जी। सुग्घर चौपई छन्द।
ReplyDeleteधन्यवाद बादल भैया
Deleteबड़ सुग्घर चौप ई छंद हे दीदी।वाह्ह् वाह्ह्।
ReplyDeleteधन्यवाद सुखदेव भाई
Deleteबढिया दीदी
ReplyDeleteबढिया दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद अजय भाई
Deleteबहुत सुघ्घर रश्मि बहन
ReplyDeleteधन्यवाद आशा दीदी
Deleteबहुत सुघ्घर रश्मि बहन
ReplyDeleteदीदी जी बहुँत सुघ्घर
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteदीदी जी बहुँत सुघ्घर
ReplyDeleteछंद रश्मि के देख ले, कइसन सुग्हर भाव
ReplyDeleteमन मुस्कावत हे मधुर, आशा ढोल बजाव।
छंद रश्मि के देख ले, कइसन सुग्हर भाव
ReplyDeleteमन मुस्कावत हे मधुर, आशा ढोल बजाव।
छंद रश्मि के देख ले, कइसन सुग्हर भाव
ReplyDeleteमन मुस्कावत हे मधुर, आशा ढोल बजाव।
धन्यवाद शकुन्तला दीदी । आपके आशीर्वाद सदा मिलत राहय दीदी प्रणाम
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर चौपई छंद लिखे हस बहिनी रश्मी बधाई
ReplyDeleteसुघ्घर चौपई ।बधाई बहिनी।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर चौपई छंद दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर चौपई छंद दीदी।सादर बधाई
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