चौपाई छंद श्री कन्हैया साहू "अमित"
पहिरे सजनी सुग्घर गहना।
बइठे जोहत अपने सजना।।
घर के अँगना द्वार मुँहाटी।
कोरे गाँथे पारे पाटी।।
बेनी बाँधे लाली टोपा।
खोंचे कीलिप डारे खोपा।।
बक्कल फीता फुँदरा फुँदरी।
फूलकुँवर फुलबासन सुँदरी।।
कुमकुम बिन्दी सेन्दुर टिकली।
माँथ माँगमोती हे असली।।
रगरग दमदम दमकै माथा।
सुनव अमित ले गहना गाथा।।
लौंग नाक नग नथली मोती।
फुली खुँटी दीया सुरहोती।।
कान खींनवा लटकन तरकी।
बारी बाला झुमका लुरकी।।
गर मा चैन संकरी पुतरी।
गठुला गजरा गूँथे सुतरी।।
सिरतो सूँता सूर्रा सुतिया।
भुलकापइसा रेशम रुपिया।
बहुँटा पहुँची चूरी ककनी।
बाहाँ मरुआ पहिरे सजनी।।
कङा नागमोरी हा अँइठे।
सज धज के अब गोरी बइठे।।
कुचीटंगनी रेसम करधन।
ए सब हावय कनिहा लटकन।।
लाल पोलखा लुगरा साया।
गहना गुरिया फभथे काया।।
सोन मुंदरी चाँदी छल्ला।
पहिर अंगरी झन कर हल्ला।।
छल्ला लोहा तांबा पीतल।
सजथे तन होथे मन सीतल।।
पाँव पैरपट्टी अउ पैरी।
बिन जोंही लागे सब बैरी।।
साँटी टोंड़ा बिछिया लच्छा।
गोड़ सवाँगा सबले अच्छा।।
लाल आलता माहुर लाली।
हाँथ मेंहदी मा खुसहाली।।
लाज असल हे नारी गहना।
सिरतो एखर का हे कहना।।
रचनाकार - श्री कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
पहिरे सजनी सुग्घर गहना।
बइठे जोहत अपने सजना।।
घर के अँगना द्वार मुँहाटी।
कोरे गाँथे पारे पाटी।।
बेनी बाँधे लाली टोपा।
खोंचे कीलिप डारे खोपा।।
बक्कल फीता फुँदरा फुँदरी।
फूलकुँवर फुलबासन सुँदरी।।
कुमकुम बिन्दी सेन्दुर टिकली।
माँथ माँगमोती हे असली।।
रगरग दमदम दमकै माथा।
सुनव अमित ले गहना गाथा।।
लौंग नाक नग नथली मोती।
फुली खुँटी दीया सुरहोती।।
कान खींनवा लटकन तरकी।
बारी बाला झुमका लुरकी।।
गर मा चैन संकरी पुतरी।
गठुला गजरा गूँथे सुतरी।।
सिरतो सूँता सूर्रा सुतिया।
भुलकापइसा रेशम रुपिया।
बहुँटा पहुँची चूरी ककनी।
बाहाँ मरुआ पहिरे सजनी।।
कङा नागमोरी हा अँइठे।
सज धज के अब गोरी बइठे।।
कुचीटंगनी रेसम करधन।
ए सब हावय कनिहा लटकन।।
लाल पोलखा लुगरा साया।
गहना गुरिया फभथे काया।।
सोन मुंदरी चाँदी छल्ला।
पहिर अंगरी झन कर हल्ला।।
छल्ला लोहा तांबा पीतल।
सजथे तन होथे मन सीतल।।
पाँव पैरपट्टी अउ पैरी।
बिन जोंही लागे सब बैरी।।
साँटी टोंड़ा बिछिया लच्छा।
गोड़ सवाँगा सबले अच्छा।।
लाल आलता माहुर लाली।
हाँथ मेंहदी मा खुसहाली।।
लाज असल हे नारी गहना।
सिरतो एखर का हे कहना।।
रचनाकार - श्री कन्हैया साहू "अमित"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
वाह वाह अमित भैया,छत्तीसगढ़ी नारी गहना के चौपाई छंद म सुघ्घर वर्णन।।बहुत बढ़िया।बधाई।।
ReplyDeleteवाह वाह अमित भैया,छत्तीसगढ़ी नारी गहना के चौपाई छंद म सुघ्घर वर्णन।।बहुत बढ़िया।बधाई।।
ReplyDeleteवाहःहः अमित भाई सुघ्घर चौपाई छंद
ReplyDeleteबधाई हो
बहुत सुग्घर चौपाई छंद सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर चौपाई छंद सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसुग्घर चौपाई अमित भाई वाह!
ReplyDeleteवाह वाह साहू जी,गजब
ReplyDeleteवाह्ह सुन्दर नखशिख श्रृँगार वर्णन।सुग्घर चौपाई साहू सर।
ReplyDeleteसुग्घर वर्णन अमित जी
ReplyDeleteसुग्घर वर्णन अमित जी
ReplyDeleteनारी सिंगार के बहुत सुघ्घर बरनन ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
छन्द खजाना मा आपके स्वागत हे महेंद्र जी
Deleteबहुत सुन्दर अमित जी के रचना ,ये चार लाईन में नारी मन के सजे संवरें के सबो जीनिस समा गेहे...
ReplyDeleteगहना गूँठा अब झन पहिरव, पढ़ लिख के जीवन ला गढ़ लव।
ReplyDeleteगहना गूँठा अब झन पहिरव, पढ़ लिख के जीवन ला गढ़ लव।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर चौपाई छंद हे।अमित भैया जी।बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर चौपाई छंद हे।अमित भैया जी।बधाई।
ReplyDeleteसुग्घर विधान अउ भावपूर्ण चौपाई सृजन बर अमित जी ला बहुत बहुत शुभकामना।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् भइया श्रृंगार के चौपाई ला सुग्घर श्रृंगार करे हावव
ReplyDeleteगुरुदेव संग आप सबो दीदी भैया मन के पंदोली दे बर अंतस ले अभार।
ReplyDeleteगुरुदेव संग आप सबै दीदी भैया मन ला पंदोली दे बर अंतस ले अभार।
ReplyDeleteबड़ सुग्घर छंद कन्हैया जी।बधाई हो।
ReplyDeleteगहना के गाये हव महिमा।
ReplyDeleteबाढ़ै माई मन के गरिमा।।
सुंदर सजिस छंद चौपाई।
रचना बड़ सुग्घर हे भाई।।
गाड़ा गाड़ा बधाई भाई कन्हैया "अमित" ला...
आप सबो सुधीजन मन के सहँराय खातिर सादर पयलगी।
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