मत्तगयंद सवैया - श्री अजय साहू "अमृतांशु"
हाँसत खेलत कूदत हे करथे अपने मन के मनमानी।
रोय कभू हँसथे लड़थे घर मा रहिथे अबड़े खिसियानी।
सूरत देखय घूरँय लोगन लागत हे बिटिया जस रानी।
रूप लगे जइसे लछमी घर मा उतरे गुठियावत बानी।
रचनाकार - श्री अजय साहू "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
हाँसत खेलत कूदत हे करथे अपने मन के मनमानी।
रोय कभू हँसथे लड़थे घर मा रहिथे अबड़े खिसियानी।
सूरत देखय घूरँय लोगन लागत हे बिटिया जस रानी।
रूप लगे जइसे लछमी घर मा उतरे गुठियावत बानी।
रचनाकार - श्री अजय साहू "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया बेटी के ऊपर मत्तगयंद सवैया अजय जी।बधाई।।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बेटी के ऊपर मत्तगयंद सवैया अजय जी।बधाई।।
ReplyDeleteबहुतेच बढ़िया मत्तगयंद सवैया।
ReplyDeleteबड़े भैयाजी।
धन्यवाद भाई
Deleteधन्यवाद भाईजी
Deleteधन्यवाद भाईजी
Deleteवाह्ह्ह्ह्ह् भइया बेटी ऊपर सुग्घर सवैया
ReplyDeleteधन्यवाद दुर्गा भाई
Deleteधन्यवाद दुर्गा भाई
Deleteबहुत सुग्घर मत्तगयंद सवैया,अजयभैया।बधाई।
Deleteबहुत सुग्घर मत्तगयंद सवैया,अजयभैया।बधाई।
Deleteधन्यवाद मोहन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर मत्तगयंद छंद अजय भाई
ReplyDeleteआभार दीदी
Deleteआभार दीदी
Deleteवाह अजय भाई सुग्घर मत्तगयंद सवैया।
ReplyDeleteवाहःहः भाई अजय अति सुघ्घर सृजन करे हव
ReplyDeleteबधाई हो
धन्यवाद आशा दीदी
Deleteधन्यवाद आशा दीदी
Deleteमाढ़िस हावय प्रेम बने बिटिया बर मंच सजावत खानी।
ReplyDeleteजान मयारुक ए बिटिया ससुरे मइके ल निभावत रानी।।
होवय पूत कपूत भले बिटिया न कभू रिसियावत जानी।
दाइ ददा बर ओकर मया ल पार न पावत देखत जानी।।
"बेटी बचाओ बड़ सुख पाव
सुंदर रचना भाई अम।तांश
सुग्घर संदेश सर जी। सादर आभार
Deleteसुग्घर संदेश सर जी। सादर आभार
Deleteवाह वाह अमृतांशु जी।सवैया मा सुग्घर भाव के अमरित बरसाये हव।बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteआभार बादल भैया सादर ।
ReplyDeleteबहुत सुघर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार बादल भैया सादर ।
ReplyDeleteबहुत सुघर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानू भाई
Deleteधन्यवाद ज्ञानू भाई
Deleteधन्यवाद ज्ञानू भाई
ReplyDeleteबहुँते सुघ्घर रचना
ReplyDeleteबहुँते सुघ्घर रचना
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर सर जी
ReplyDeleteवाह्ह् वाह्ह "अमृताशु"सर जी बड़ सुग्घर मत्तगयंद सवैय्या।
ReplyDeleteबहुत सुंदर भैया जी 🙏💐💐🙏
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