रूपमाला छन्द - श्री हेमलाल साहू
(1)
मोर माटी मोर दाई, तँय रखै हस नेम।
मोर जिनगी तोर कोरा, हे बसे हर टेम।।
तोर सेवा करवँ दाई, परन करथंव हेम।
मोर जिनगी हवै अरपन, राखबे तँय प्रेम।।
(2)
राख सबसे प्रेम संगी, छोड़ तँय अभिमान।
पेर जाँगर तैं सदा दिन , तोर बाढ़य शान।
सीख लेवव बने संगी, करव मन मा ध्यान।
मेहनत बिन कोन पाथे, ये जगत मा ज्ञान।
(3)
समय भागे देख पल्ला, रुक कभू नइ पाय।
काल ककरो आय संगी, ये कहाँ छेंकाय।
छोड़ चिंता अपन फल के, बने जाँगर पेर।
मेहनत मा भाग्य बनथे, समय के हे फेर।
रचनाकार - श्री हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, छत्तीसगढ़
(1)
मोर माटी मोर दाई, तँय रखै हस नेम।
मोर जिनगी तोर कोरा, हे बसे हर टेम।।
तोर सेवा करवँ दाई, परन करथंव हेम।
मोर जिनगी हवै अरपन, राखबे तँय प्रेम।।
(2)
राख सबसे प्रेम संगी, छोड़ तँय अभिमान।
पेर जाँगर तैं सदा दिन , तोर बाढ़य शान।
सीख लेवव बने संगी, करव मन मा ध्यान।
मेहनत बिन कोन पाथे, ये जगत मा ज्ञान।
(3)
समय भागे देख पल्ला, रुक कभू नइ पाय।
काल ककरो आय संगी, ये कहाँ छेंकाय।
छोड़ चिंता अपन फल के, बने जाँगर पेर।
मेहनत मा भाग्य बनथे, समय के हे फेर।
रचनाकार - श्री हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, छत्तीसगढ़
भाई हेम बहुत सुघ्घर रूपमाला छंद हे
ReplyDeleteदिनों दिन अइसने आगे बढ़त रह भाई ।
बहुत बहुत बधाई
दीदी अंतस ले आभार
Deleteआप सबके आशीष मोर मा ऊर्जा भरथे।
हेम भइया सुग्घर छन्द
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह्
दुर्गा भैया सादर धन्यवाद
Deleteवाह्ह हेम भैया,बहुत सुग्घर रूपमाला छंद। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteमोहन भैया सादर धन्यवाद
Deleteवाह्ह हेम भैया,बहुत सुग्घर रूपमाला छंद। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रूपमाला के सिरजन करे हव हेम भाई।बधाई।
ReplyDeleteभैया जी सादर धन्यवाद
Deleteबहुत सुंदर रूपमाला के सिरजन करे हव हेम भाई।बधाई।
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया हेम लाल भईया जी
ReplyDeleteजोगी भैया अंतस ले आभार
Deleteबहुँत बढ़िया हेम लाल भईया जी
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया हेम भाई
ReplyDeleteवर्मा भैया सादर धन्यवाद
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteज्ञानु भाई सादर धन्यवाद
Deleteसुग्घर सार छ्न्द बर बधाई हेम भाई
ReplyDeleteसुग्घर सार छ्न्द बर बधाई हेम भाई
ReplyDeleteअजय भैया अंतस आभार
Deleteवाह्ह शानदार रूपमाला।बधाई हेम सर।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteअंतस ले धन्यवाद भैया जी
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् बधाई हेम भाई।रूपमाला छन्द के शानदार छटा हे।
ReplyDeleteबादल भैया मया दया के संग अंतस ले आभार
Deleteछंद रूपमाला कहौं, निखरे रचना रूप।
ReplyDeleteहेमभाइ के प्रेम के,बिखरे भाव अनूप।।
बहुत बहुत बधाई भाई हेम....
गुप्ता भैया के हवै, आशीष सदा साथ।
Deleteदाई सारद ज्ञान दे,चरण नवाँव ग माथ।।
भैया गुप्ता...........दया मया के संग अंतस आभार