रोला छन्द - श्री सूर्यकान्त गुप्ता
(1)
बाढ़ै अत्याचार, होय अवतार प्रभू के।
कर दै बेड़ापार, जगत आधार न चूके।।
दिन बादर हे आज, उही महुरत सँघरागे।
बाजै बढ़िया साज, जनम दिन कान्हा आगे।।
(2)
बहिनी बर तो प्रेम, कंस के जानौ अड़बड़।
करिस बंधु के अहम्, मगर सब कोती गड़बड़।।
खुद ला समझ अजेय, बंधु तो हे बौराये।
नारद बचन सुनाय, कंस ला मौत बलाये।।
(3)
नारद बोलिस कंस, मारही पूत देवकी।
संख्या ओकर आठ, जान ले बात देव की।।
आय आठवाँ कोन, मँहू नइ जानत हावँव।
रहिके मुनिवर मौन, कहिस मैं जावत हावँव।।
(4)
सुनके नारद बात, कंस के सुध हेरागै।
सोच सोच दिन रात, ओखरो जी डेरागै।।
बाँधिस बेड़ी पाँव, देवकी अउ भाँटो के।
कहिस जेल तुम जाव, पाव अब दुख आँसो के।।
(5)
जनमत गइन कोंख देवकी ले लइका मन ।
पाइस नही समोख मार दिस कंस ममा बन।।
मारिस सातों पूत देवकी के वो पापी।
लइस प्रभू अवतार हते बर कंस प्रतापी।।
(6)
आठे भादो रात, रहै अँधियार पाख के।
जँउहर ओ बरसात, नई कहि सकौं भाख के।।
कान्हा नटवर श्याम, करिन उन अद्भुत लीला।
आइन मथुरा धाम, देवकी के बन पीला।।
(7)
करिन याद वसुदेव, कंस के अत्याचारी।
कहिन करौं का देव, देवकी ओ महतारी।।
चलिन पिता वसुदेव, सूप मा धरे कन्हैया।
गोकुल घर बलदेव, जहाँ हे बन के भइया।।
(8)
मात यशोदा नंद, बाप बन मन हर्षाये।
नोनी ला वसुदेव, कंस बर मथुरा लाये।।
पर ओ मूरख जान, घलो बेटी ला मारय।
बेटी देवी मान, काल ला ओही टारय।।
(9)
देवी कहिस सियान कंस तैं मरबे अब तो।
आ गे हे भगवान, काय तैं करबे अब तो।।
गोकुल मा आनंद, मनावैं नंद यशोदा।
खेलैं बाल मुकुंद, लेन आनंद हमू गा।।
रचनाकार - श्री सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
(1)
बाढ़ै अत्याचार, होय अवतार प्रभू के।
कर दै बेड़ापार, जगत आधार न चूके।।
दिन बादर हे आज, उही महुरत सँघरागे।
बाजै बढ़िया साज, जनम दिन कान्हा आगे।।
(2)
बहिनी बर तो प्रेम, कंस के जानौ अड़बड़।
करिस बंधु के अहम्, मगर सब कोती गड़बड़।।
खुद ला समझ अजेय, बंधु तो हे बौराये।
नारद बचन सुनाय, कंस ला मौत बलाये।।
(3)
नारद बोलिस कंस, मारही पूत देवकी।
संख्या ओकर आठ, जान ले बात देव की।।
आय आठवाँ कोन, मँहू नइ जानत हावँव।
रहिके मुनिवर मौन, कहिस मैं जावत हावँव।।
(4)
सुनके नारद बात, कंस के सुध हेरागै।
सोच सोच दिन रात, ओखरो जी डेरागै।।
बाँधिस बेड़ी पाँव, देवकी अउ भाँटो के।
कहिस जेल तुम जाव, पाव अब दुख आँसो के।।
(5)
जनमत गइन कोंख देवकी ले लइका मन ।
पाइस नही समोख मार दिस कंस ममा बन।।
मारिस सातों पूत देवकी के वो पापी।
लइस प्रभू अवतार हते बर कंस प्रतापी।।
(6)
आठे भादो रात, रहै अँधियार पाख के।
जँउहर ओ बरसात, नई कहि सकौं भाख के।।
कान्हा नटवर श्याम, करिन उन अद्भुत लीला।
आइन मथुरा धाम, देवकी के बन पीला।।
(7)
करिन याद वसुदेव, कंस के अत्याचारी।
कहिन करौं का देव, देवकी ओ महतारी।।
चलिन पिता वसुदेव, सूप मा धरे कन्हैया।
गोकुल घर बलदेव, जहाँ हे बन के भइया।।
(8)
मात यशोदा नंद, बाप बन मन हर्षाये।
नोनी ला वसुदेव, कंस बर मथुरा लाये।।
पर ओ मूरख जान, घलो बेटी ला मारय।
बेटी देवी मान, काल ला ओही टारय।।
(9)
देवी कहिस सियान कंस तैं मरबे अब तो।
आ गे हे भगवान, काय तैं करबे अब तो।।
गोकुल मा आनंद, मनावैं नंद यशोदा।
खेलैं बाल मुकुंद, लेन आनंद हमू गा।।
रचनाकार - श्री सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
बहुत सुघ्घर रोला छंद आदरणीय भैया जी।।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर रोला छंद आदरणीय भैया जी।।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रोला छंद भैया
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् सर जी एक से बढ़के एक रचना
ReplyDeleteवाह गुप्ता सर जोरदार रोला
ReplyDeleteवाह गुर्ता सर जोरदार रोला
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुँत बहुँत बढ़िया रोला सूर्यकांत भईया जी
ReplyDeleteबहुँत बहुँत बढ़िया रोला सूर्यकांत भईया जी
ReplyDeleteबहुँत बहुँत रोला सूर्यकांत भईया जी
ReplyDeleteवाहःहः भाई जी कृष्ण अवतार के बहुत सुघ्घर रोला छंद
ReplyDeleteबधाई हो
कृष्ण अवतार के रोला छंद बहुत बढ़िया सुर्यकांत भाई बधाई
ReplyDeleteआदरणीय गुरु भैया के आभार अउ मोर सबो मयारूक बहिनी भाई मन ल तहे दिल से शुक्रिया अउ आभार....
ReplyDelete__/\__ __/\__ __/\__
AM
ReplyDeleteकृष्ण अवतार के रोला छंद सुग्घर सर जी
सहृदय धन्यवाद भाई अजय...
Deleteलाजवाब रोला छंद के सृजन आदरणीय बड़े भैया।बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteअंतस ले धन्यवाद भाई अहिलेश्वर
Deleteबहुत सुग्घर रोला छंद के सृजन भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteहिरदे ले आभार भाई ज्ञानू...।
Deleteबहुत सुग्घर रोला छंद के सृजन भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteमनमोहन श्री कृष्ण के पावन मोहक कथा ला रोला छन्द मा बहुतेच सुग्घर ठंग ले वर्णन करे हव आदरणीय सूर्या भइया जी।सादर नमन।
ReplyDeleteमोर मयारुक बड़े भैया के हिरदे ले आभार प्रकट करत हौं गुरुवर निगम भैया के कृपा अउ आप मन के प्रेम के प्रताप आय....सादर
Deleteबहुत सुग्घर अउ अनुकरणीय रोला छंद के सिरजन करे हव,गुरुदेव गुप्ता जी। बधाई अउ शुभकामना।नमन।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मोहन भाई...
Deleteबहुत सुग्घर अउ अनुकरणीय रोला छंद के सिरजन करे हव,गुरुदेव गुप्ता जी। बधाई अउ शुभकामना।नमन।
ReplyDeleteहिरदे ले आभार भाईईईईई...
Deleteरोला के सुरसरि बहय
ReplyDeleteदीदी ल पैलगी सहित.... अपन हिरदे ले आभार कहत हौं....दीदी के असीस ....
Deleteबड़े भैया शानदार रोला छन्द बधाई आप ला
ReplyDeleteदया मया धरे रहिबे भाई...
Deleteधनयवाद अबड़ अकन...
जय जोहार...
दया मया धरे रहिबे भाई...
Deleteधनयवाद अबड़ अकन...
जय जोहार...