Followers

Saturday, December 4, 2021

अमृतध्वनि छंद - गुरु वंदना*

 *अमृतध्वनि छंद - गुरु वंदना*


(1)

चरनन माथा टेक के,गुरुवर करौं  प्रणाम।

महिमा तोर अपार हे,पूजँव बिहना शाम।।

पूजँव बिहना,शाम आरती, गुन ला गावँव।

तोर चरन के, धुर्रा माटी, माथ लगावँव।।

मन मन्दिर मा, सदा बिराजौ,दे के दरशन।

गंगा जल कस,बरसत आँसू,धोवँव चरनन।।


(2)

दरशन के  आशा लगे, गुरुवर  पूरनकाम।

महिमा अमित अपार हे,जग मा तुँहरे नाम।।

जग मा तुँहरे, नाम अबड़ हे, बड़ गुनधारी।

सत्  के  डोंगा, पार  लगैया,   तारनहारी।।

सेवा मा हे,तुँहर सदा गुरु,तन-मन जीवन।

सुत उठ पावँव,निसदिन मँय तो,तुँहरे दरशन।।


(3)

माथ नवावँव गुरु चरन,बंदत औ करजोर।

नाम लेत भव पार ले,उतरौं मँय बिन डोर।।

उतरौं मँय बिन,डोर धरे जी,भव तर जावँव।

तुँहर दिखाये,रस्ता चल के,हरि पद पावँव।।

गुरु चरणन मा,जिनगी बीतय,महिमा गावँव।

सेवा भगती,भाव भजन कर,माथ नवावँव।।


(4)

गुरु के बानी सार हे, गुरु के ज्ञान अपार।

जे मनखे ला गुरु मिलै,होवय बेड़ा पार।।

होवय बेड़ा,पार सबो चल,माथ नवावौ।

महिमा जपलौ,माथा टेकव,गुन ला गावौ।।

मन ला सौंपव,गुरु भगती मा,मूरख प्रानी।

आवौ सुनलव,ध्यान लगावौ,गुरु के बानी।।


छंदकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

No comments:

Post a Comment