Followers

Saturday, December 4, 2021

सार छंद- ओमप्रकाश साहू" अंकुर "

 सार छंद- ओमप्रकाश साहू" अंकुर "


विषय - तीन लोक के स्वामी 



त्रेता जुग मा लक्ष्मीपति हा, दशरथ सुत कहलाइस ।

कौशल्या के राज दुलारा,  बनके जग मा आइस ।।


तीन लोक के सुग्घर स्वामी, रामचंद्र कहलाथे ।

नित श्रद्धा ले नर नारी अउ , ऋषि -मुनि माथ नवाथे ।।


रामचंद्र के मोहक मूरत ,सीता सुध -बुध खोइस ।

रघुवर हा शिव  धनुष उठाइस, जनक गजब खुश होइस ।।


बचन पिता के राखे बर गा, राम बनिस बनवासी ।

गंगा तीर निषाद राज के , भागिस दूर उदासी ।।


गजब वीर हे रामचंद्र हा, मंदोदरी बताइस ।

 नइ मानिस लंकापति रावण, कुल ला नाश कराइस ।।


रघुपति मारिस दानव मन ला, भक्तन मन ला तारिस ।

अतियाचार मिटाये खातिर, रावण ला संहारिस ।।


युद्ध राम -रावण के होइस, बहिस लहू के धारा ।

देव लगाइन रामचंद्र के, शौर्य देख जयकारा ।।


रामचंद्र हा लंका जीतिस, अवधपुरी मा आइन ।

परजा मन स्वागत बर उमड़िन, मंगल गीत सुनाइन ।।


                      ओमप्रकाश साहू" अंकुर "

सुरगी, राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़)

No comments:

Post a Comment