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Saturday, December 4, 2021

नारी महिमा - हरिगीतिका छंद ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

 नारी महिमा - हरिगीतिका छंद

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नारी जनम भगवान के,वरदान हावै मान लौ।

देवी बरोबर रूप हे,सब शक्ति ला पहिचान लौ।।

दाई  इही  बेटी   इही, पत्नी   इही  संसार मा।

अलगे अलग सब मानथे,जुड़थे नता ब्यौहार मा।।


नारी बिना मनखे सबो,होवय अकेला सुन  सखा।

परिवार सिरजय संग मा,तब होय मेला सुन सखा।।

अँगना दुवारी  रात दिन, नारी करै श्रृंगार जी।

सब ले बने करके मया,लावै सरग घर द्वार जी।।


नारी अहिल्या रेणुका,अउ राधिका सुख कारिणी।

सीता इही गीता इही,लक्ष्मी इही जग तारिणी।।

पूजा जिहाँ होथे सुनौ,भगवान के छइँहा रथे।

सम्मान नारी के करौ,सब दुःख हा दुरिहा रथे।।

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बोधन राम निषादराज"विनायक"

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