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Saturday, December 4, 2021

हेम के सरसी छंद*

 *हेम के सरसी छंद*


तोर बने माटी के काया, झन कर गरब गुमान।

नइहे ककरो इहाँ ठिकाना, समे हवे बलवान।।


पाप पून्य के लेखा जोखा, रोज करय यमराज।

दाग लगे झन ये चोला मा, करहू बढ़िया काज।।


दाई भाखा हमरो गुरतुर , सीख सियानी गोठ।

दया मया ले घर बसथे अउ, बनथे रिश्ता पोठ।।


करम धरम मा हाथ बँटालव, लगें नहीं मँय रोग।

रखलव मान अन्न दाता के, पाहूँ छप्पन भोग।।


बैर भाव ले दुरिहा रइहू, खुश रइही परिवार।

मानवता के सुग्घर संगी, जग मा बगरय नार।।


-हेमलाल साहू

छंद साधक सत्र-1

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

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