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Sunday, December 5, 2021

सरसी छंद----राजकुमार चौधरी "रौना"

 सरसी छंद----राजकुमार चौधरी "रौना"

विषय-----छत्तीसगढ अउ छत्तीसगढिया के दशा बिथा उपर।


ये धरती के धरवट देखे, करॅय नियत बइमान ।

लूटे खावै हमरे धन ला, बनके सबो मितान ।


हमरे मिहनत गाॅव सहर मा, हमीं कमाथन खेत ।

छाती उप्पर पाॅव मड़ाके, करथे मुरिया मेट ।

माटी मोल बेंचावय धनहा, करजा धरे किसान--------------।


रतन भरे हे कोख भितर मा, लोहा ताॅबा सोन ।

जल जंगल मा कबजा करके, हमला कहिथे कोन।

घर के मालिक बेघर होवय, दूसर बने सियान--------------------।


देश धरम के उलटा पासा, मुखिया बनथे चोर ।

नीत नियम होथे सौतेला, जुरमी किंजरय खोर ।

राज मुकुट बर मारा मारी, गदहा के सम्मान------------------।


जेहर आज महाजन हावे, माॅगत आइन भीख ।

भेष बदल के बहरुपिया मन, बाॅटत रहिथे सीख।

अब तो जागव छत्तीसगढिया, करव अपन पहिचान----------------।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनादगाॅव ।

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