आल्हा छंद
बोलिस ग्वालिन सुन तो जोही ,नथली मोला देहू नाक।
नवा नेवरिन आये हावँव,पहिन जमावँव मँय हा धाक।।
नइये पइसा अभी मानजा,ले देहूँ कुछ दिन के बाद।
पहिरे तँय हा सुन्दर दिखबे,राखे रहिहूँ मन में याद।।
पइसा थोकिन जादा आही ,दूध म थोरिक पानी डार।
पानी डारे रोज गुवाला,पैसा जादा आवै चार।।
घरवाली के बात मान के,होगे ग्वाला हा धनवान।
सोना के नथली गढ़वा के,लाने ग्वाला मारत शान।।
पहने नथली नवा दुल्हनिया,दरपन देखे कइयो बार।
क्रीम पावडर रोज लगाके,घूमे जावे गा बाजार।।
माघी पुन्नी मेला आगे,राजिम मा दूनो झिन आय।
महानदी में डुबक डुबक के,दूनो आके खूब नहाय।।
फँसे टेंगना मछरी नथली,छटपिट छटपिट नाक छेदाय।
लहू लुहान नाक हा होगे,मूड़ी पीटे कहिके हाय।।
नथली पानी भीतर गिरगे,खोजे कतको नइतो पाय।
पानी के पानी मा चल दिस,रसता मोला रहे बताय।।
लोभ करे पछता अब बाई,खून नाक ले बोहे धार।
रोवत ग्वालिन घर मा आये,बइठे हावे मन ला मार।।
कभू लोभ झन करहू कहिथे,सतसंगत अउ वेद पुरान।
संतोषी हा बड़ सुख पाथे,लोभी के हे मरे बिहान।।
केवरा यदु "मीरा "
राजिम
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