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Saturday, December 4, 2021

सार छंद == बासी==


सार छंद

             == बासी==


बासी मा हे सबो बिटामिन, चवनप्रास नइ लागे ।

खाले भइया कॅवरा आगर, मन उदास नइ लागे ।


रतिहा कुन के बोरे बासी, गुरतुर पसिया पीबे ।

मही मिलाके झड़कत रहिबे, सौ बच्छर ले जीबे।

नाॅगर बक्खर सूर भराही, करबे तिहीं सवाॅगे---------------।


बटकी के बारा उप्पर मा, थोरिक नून मड़ाले ।

थरकुलिया के आमा चटनी, गोही चुचर चबाले।

ठाढ मॅझनिया पीले पसिया, प्यास ह दुरिहा भागे---------------।


कातिक अग्घन सिलपट चटनी, धनिया सोंध उड़ाथे ।

पूस माॅघ मा तिवरा भाजी, बासी संग सुहाथे ।

बासी महिमा ला सपनाबे, रतिहा सूते जागे-------------।


राजकुमार चौधरी "रौना"

टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏

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