सार छंद
== बासी==
बासी मा हे सबो बिटामिन, चवनप्रास नइ लागे ।
खाले भइया कॅवरा आगर, मन उदास नइ लागे ।
रतिहा कुन के बोरे बासी, गुरतुर पसिया पीबे ।
मही मिलाके झड़कत रहिबे, सौ बच्छर ले जीबे।
नाॅगर बक्खर सूर भराही, करबे तिहीं सवाॅगे---------------।
बटकी के बारा उप्पर मा, थोरिक नून मड़ाले ।
थरकुलिया के आमा चटनी, गोही चुचर चबाले।
ठाढ मॅझनिया पीले पसिया, प्यास ह दुरिहा भागे---------------।
कातिक अग्घन सिलपट चटनी, धनिया सोंध उड़ाथे ।
पूस माॅघ मा तिवरा भाजी, बासी संग सुहाथे ।
बासी महिमा ला सपनाबे, रतिहा सूते जागे-------------।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनादगाॅव🙏
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