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Thursday, September 14, 2017

मत्तगयंद सवैया - श्री अजय साहू "अमृतांशु"

मत्तगयंद सवैया - श्री अजय साहू "अमृतांशु"

हाँसत खेलत कूदत हे करथे अपने मन के मनमानी।
रोय कभू हँसथे लड़थे घर मा रहिथे अबड़े खिसियानी।
सूरत देखय घूरँय लोगन लागत हे बिटिया जस रानी।
रूप लगे जइसे लछमी घर मा उतरे गुठियावत बानी।

रचनाकार - श्री अजय साहू "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़

36 comments:

  1. बहुत बढ़िया बेटी के ऊपर मत्तगयंद सवैया अजय जी।बधाई।।

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  2. बहुत बढ़िया बेटी के ऊपर मत्तगयंद सवैया अजय जी।बधाई।।

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  3. बहुतेच बढ़िया मत्तगयंद सवैया।
    बड़े भैयाजी।

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  4. वाह्ह्ह्ह्ह् भइया बेटी ऊपर सुग्घर सवैया

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    1. धन्यवाद दुर्गा भाई

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    2. धन्यवाद दुर्गा भाई

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    3. बहुत सुग्घर मत्तगयंद सवैया,अजयभैया।बधाई।

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    4. बहुत सुग्घर मत्तगयंद सवैया,अजयभैया।बधाई।

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  5. बहुत सुघ्घर मत्तगयंद छंद अजय भाई

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  6. वाह अजय भाई सुग्घर मत्तगयंद सवैया।

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  7. वाहःहः भाई अजय अति सुघ्घर सृजन करे हव
    बधाई हो

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  8. माढ़िस हावय प्रेम बने बिटिया बर मंच सजावत खानी।
    जान मयारुक ए बिटिया ससुरे मइके ल निभावत रानी।।
    होवय पूत कपूत भले बिटिया न कभू रिसियावत जानी।
    दाइ ददा बर ओकर मया ल पार न पावत देखत जानी।।

    "बेटी बचाओ बड़ सुख पाव

    सुंदर रचना भाई अम।तांश

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    1. सुग्घर संदेश सर जी। सादर आभार

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    2. सुग्घर संदेश सर जी। सादर आभार

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  9. वाह वाह अमृतांशु जी।सवैया मा सुग्घर भाव के अमरित बरसाये हव।बहुत बहुत बधाई।

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  10. आभार बादल भैया सादर ।

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  11. बहुत सुघर रचना सर।सादर बधाई

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  12. आभार बादल भैया सादर ।

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  13. बहुत सुघर रचना सर।सादर बधाई

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  14. बहुँते सुघ्घर रचना

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  15. बहुँते सुघ्घर रचना

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  16. वाह्ह् वाह्ह "अमृताशु"सर जी बड़ सुग्घर मत्तगयंद सवैय्या।

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