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Sunday, December 15, 2019

सार छंद -केवरा यदु "मीरा"




सार छंद -केवरा यदु "मीरा"

सुरता आथे दाई तोरे, कइसे मोला छोड़े।
तोर दुलौरिन बेटी आवँव, काबर नाता तोड़े ।।

ऐती ओती खोजत हावौं,तोला काँहा पाहूँ ।
सुरता हा आथे दाई वो, सुररत मैं मर जाहूँ।।

भाई बहिनी कोनो नइये, दुख ला कहाँ बतावौं ।
कइसे कटही जिनगी दाई,सोचत बइठे हावौं ।।

कोनो नइतो दिखथे दाई, मोरो आज सहारा ।
तोर गये ले नाता गोता, कर गै लिहिन किनारा।।

बहिनी रहितिस त जातेंव मँय,भाई घलोक आतिस ।
बरा बोबरा अउ सोहारी, बइठ मोर घर खातिस ।।

ददा जियत रहितिस दाई ओ, धीरज आज बँधातिस।
रहितेंव बछर भर जावत मँय,वहू मोर घर आतिस।।

छंदकारा:-
केवरा यदु "मीरा "
राजिम

5 comments:

  1. सुग्घर रचना दीदी

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  2. सुग्घर रचना दीदी

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  3. बहुत सुन्दर दीदी जी। बधाई हो

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  4. बहुत सुग्घर सृजन दीदी जी। बधाई💐💐🙏

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