सार छंद-ज्ञानुदास मानिकपुरी
धन दौलत परिवार सगा ला,छोड़ एक दिन जाना।
कंचन काया माटी होही,काबर जी इतराना।
बड़े बड़े ये महल अटारी,छूट एक दिन जाना।
काबर करथस भूल सदा रे,छोड़ अपन मनमाना।
ये दुनियाँ ला जानौ संगी,दू दिन अपन ठिकाना।
रहौ संग सब मिलजुल संगी,रिश्ता नता निभाना।
बैर कपट ला जानौ दुश्मन,गीत मया के गाना।
मुट्ठी बाँधे आय जगत मा,हाथ पसारे जाना।
सुग्घर मनखे तन ला पाके,जिनगी सफल बनाना।
गुरतुर बोली बोल मया के,हिरदै अपन बसाना।
दया मया अउ करम धरम हा,सबले बड़े खजाना ।
सत्य प्रेम के पाठ पढ़ौ अउ,सबला हवै पढ़ाना।
छंदकार-ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदैनी-कबीरधाम(छ्त्तीसगढ़)
धन दौलत परिवार सगा ला,छोड़ एक दिन जाना।
कंचन काया माटी होही,काबर जी इतराना।
बड़े बड़े ये महल अटारी,छूट एक दिन जाना।
काबर करथस भूल सदा रे,छोड़ अपन मनमाना।
ये दुनियाँ ला जानौ संगी,दू दिन अपन ठिकाना।
रहौ संग सब मिलजुल संगी,रिश्ता नता निभाना।
बैर कपट ला जानौ दुश्मन,गीत मया के गाना।
मुट्ठी बाँधे आय जगत मा,हाथ पसारे जाना।
सुग्घर मनखे तन ला पाके,जिनगी सफल बनाना।
गुरतुर बोली बोल मया के,हिरदै अपन बसाना।
दया मया अउ करम धरम हा,सबले बड़े खजाना ।
सत्य प्रेम के पाठ पढ़ौ अउ,सबला हवै पढ़ाना।
छंदकार-ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदैनी-कबीरधाम(छ्त्तीसगढ़)
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई हो गुरुदेव अति उत्तम
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteमोर मोर काबर करे,चीज भला का तोर।
ReplyDeleteछोड़ सबो जाना इहें,झन दौलत ला जोर।।
ज्ञानू जी के ज्ञान भरे सार छंद।बधाई
बहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
ReplyDeleteबहुत सुंदर छंद हे बहुत बधाई
ReplyDeleteजम्मो साहित्कारों मन ल गाड़ा गाड़ा बधाई
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