सार छंद- राजेश कुमार निषाद
महिना फागुन गजब सुहाथे, आथे जब गा होली।
मया पिरित ला बाँधे रखथे,गुरतुर हमरो बोली।।
हाँसत गावत रंग लगावौ,पालौ नही झमेला।
बैर भुलाके आहू संगी,पारा हमर घुमेला।।
नीला पीला लाल गुलाबी, धरे रंग ला आहू।
बैर भाव ला छोड़े संगी,सबला गले लगाहू।।
ढोल नगाड़ा बजही अबड़े, गीत फाग के गाबो।
रंग भरे मारत पिचकारी,मिलके मजा उड़ाबो।।
भाई चारा के संदेशा,देवत सबझन जाबो ।
गली गली मा मिलके घुमबो,बढ़िया अलख जगाबो।।
छंदकार- राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा
तहसील आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़
महिना फागुन गजब सुहाथे, आथे जब गा होली।
मया पिरित ला बाँधे रखथे,गुरतुर हमरो बोली।।
हाँसत गावत रंग लगावौ,पालौ नही झमेला।
बैर भुलाके आहू संगी,पारा हमर घुमेला।।
नीला पीला लाल गुलाबी, धरे रंग ला आहू।
बैर भाव ला छोड़े संगी,सबला गले लगाहू।।
ढोल नगाड़ा बजही अबड़े, गीत फाग के गाबो।
रंग भरे मारत पिचकारी,मिलके मजा उड़ाबो।।
भाई चारा के संदेशा,देवत सबझन जाबो ।
गली गली मा मिलके घुमबो,बढ़िया अलख जगाबो।।
छंदकार- राजेश कुमार निषाद
ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा
तहसील आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़
वाह्ह्ह वाह्ह्ह भाईजी
ReplyDeleteबहुत सुघर सार छंद भाई
ReplyDeleteवाह वाह होली तिहार ऊपर सुग्घर छंद, बहुत बधाई
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