सार छंद-बोधनराम निषाद
1) चटनी बासी
छन्न पकैया छन्न पकैया,खालव चटनी बासी।
जाँगर पेरव बने कमावव,होवय नहीं उदासी।
छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी के गुन भारी।
कच्चा धनिया मिरचा पीसौ,खावव अउ सँगवारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, छत्तीसगढ़ी जेवन।
सुत-उठ के जी बड़े बिहनिया,बोरे बासी लेवन।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, खावव बहिनी भाई।
एमा सबके मन भर जाही,नइ होवय करलाई।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी के गुन भारी।
रात बोर के बिहना खावव,चटनी पीस अमारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,सदा निरोगी रहना।
खावव बासी फेर देख लव,मोर बबा के कहना।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,करौ किसानी जा के।
छत्तीसगढ़ी चटनी बासी,जम्मों देखव खा के।।
(2) नव राती मेला-
छन्न पकैया छन्न पकैया, आवत हावय मेला।
नव राती मा नव दिन होही,भारी रेलम-पेला।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, होवत हे तइयारी।
गाँव-गाँव अउ शहर शहर मा,सोर मचे हे भारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला घूमे जाबो।
डोंगरगढ़ मा बमलाई के,दरसन करके आबो।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,भीड़ लगत हे भारी।
दुरिहा के मनखे सकलाए,जम्मो नर अउ नारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,जगमग जोत जँवारा।
गूँजत हावय जस अउ सेवा,मंदिर आरा-पारा।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला के दिन आए।
जघा-जघा मा नाचा गम्मत,सबके मन ला भाए।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,चल जी संगी मेला।
खाबो पेड़ा खई खजाना,भजिया बइठे ठेला।।
छंदकार - बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
1) चटनी बासी
छन्न पकैया छन्न पकैया,खालव चटनी बासी।
जाँगर पेरव बने कमावव,होवय नहीं उदासी।
छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी के गुन भारी।
कच्चा धनिया मिरचा पीसौ,खावव अउ सँगवारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, छत्तीसगढ़ी जेवन।
सुत-उठ के जी बड़े बिहनिया,बोरे बासी लेवन।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, खावव बहिनी भाई।
एमा सबके मन भर जाही,नइ होवय करलाई।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,बासी के गुन भारी।
रात बोर के बिहना खावव,चटनी पीस अमारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,सदा निरोगी रहना।
खावव बासी फेर देख लव,मोर बबा के कहना।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,करौ किसानी जा के।
छत्तीसगढ़ी चटनी बासी,जम्मों देखव खा के।।
(2) नव राती मेला-
छन्न पकैया छन्न पकैया, आवत हावय मेला।
नव राती मा नव दिन होही,भारी रेलम-पेला।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, होवत हे तइयारी।
गाँव-गाँव अउ शहर शहर मा,सोर मचे हे भारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला घूमे जाबो।
डोंगरगढ़ मा बमलाई के,दरसन करके आबो।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,भीड़ लगत हे भारी।
दुरिहा के मनखे सकलाए,जम्मो नर अउ नारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,जगमग जोत जँवारा।
गूँजत हावय जस अउ सेवा,मंदिर आरा-पारा।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,मेला के दिन आए।
जघा-जघा मा नाचा गम्मत,सबके मन ला भाए।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,चल जी संगी मेला।
खाबो पेड़ा खई खजाना,भजिया बइठे ठेला।।
छंदकार - बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
बहुत बढ़िया छन्न पकैया गुरुदेव बधाई
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