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Monday, December 30, 2019

छन्न पकैया छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा




छन्न पकैया छन्द - मथुरा प्रसाद वर्मा

छन्न पकैया छन्न पकैया, हा-हा हा-हा ही-ही।
ये लइका मन मोर सिखोना, घोर घोर के पीही।1।

छन्न पकैया छन्न पकैया, जब जब सिक्का खनके।
कुर्सी के सँग नाचन लागे, कलम नचनिया बनके।2।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मर मर हमीं कमाबो।
बइठाँगुर बर बरा सुहारी, अउ हम बासी खाबो।3।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ये मउहा के पानी।
वोट बेंच के जनता माते, लबरा करे सियानी।4।

छन्न पकैया छन्न पकैया,  बड़े बड़े धनमानी ।
फोकट के घर मिलही कहिके, ताने खपरा छानी।5।

छन्न पकैया छन्न पकैया, देख न कलजुग आथे।
धान उगाने वाला मन हा, चाँउर ले के खाथे।6।

छन्न पकैया छन्न पकैया, ये कुर्सी के माया।
भाई-भाई लड़थे मरथे, राजनीति के छाया।

छन्न पकैया छन्न पकैया, मोरे मन बउराथे ।
मनखे कइसे  पेट भरे बर, देश बेंच के खाथे।

मथुरा प्रसाद वर्मा
कोलिहा, बलौदाबाजार( छ ग)
मोबाइल 8889710210

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